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इनके लिए उम्र सिर्फ नम्बर गेम, जीवन के आठ दशक पूरे, समाज को दे रहे दशा और दिशा

- अनुशासित और नियमित दिनचर्या के कारण नियमित रूप से समाज से जुडकऱ कर रहे कार्य, अन्तरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस आज आज, वृद्धजन को पैसा नहीं सिर्फ सम्मान चाहिए

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इनके लिए उम्र सिर्फ नम्बर गेम, जीवन के आठ दशक पूरे, समाज को दे रहे दशा और दिशा

राजसमंद में ऑफिस में लोगों से चर्चा करते पूर्व न्यायाधीश बसंतीलाल बावेल।

हिमांशु धवल @राजसमंद. देश में अमूमन सेवानिवृत्ति को बुढ़ापे की शुरुआत के रूप में देखा जाता है। इसके बाद से दिनचर्या पूरी तरह से बदल जाती है, लेकिन आज भी हमारे समाज में ऐसे लोग मौजूद हैं जिन्होंने इसे अवसर के रूप में बदला और समाज का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं। इनके लिए उम्र सिर्फ नम्बर गेम बनकर रह गई है। नियमित और अनुशासित दिनचर्या के कारण जीवन के आठ दशक पूरा करने के बावजूद नियमित अध्ययन और लेखन का कार्य इनकी रोजमर्रा की दिनचर्या में शामिल है। समाज सेवा के कार्यो से जुड़े हुए हैं। राजस्थान पत्रिका की टीम ने एक अक्टूबर को मनाए जाने वाले अन्तरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के अवसर जीवन में 80 बसंत पूरे कर चुके लोगों से की बातचीत और जानी दिनचर्या।
310 कानून की किताबें लिखी, 7-8 घंटे करते हैं लेखन कार्य
पूर्व न्यायाधीश बसंती लाल बावेल की उम्र 81 वर्ष है। इनकी अब तक 310 भारतीय दंड संहिता से संबंधित कानून की किताबें छप चुकी है। इनकी किताबें पढकऱ अनगिनत लोगे वकील और मजिस्ट्रेट बन चुके हैं। इन्हें अब तक 80 बार राज्य और राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार मिल चुके हैं। पूर्व न्यायाधीश बावेल ने बताया कि उनकी दिनचर्या सुबह 4 बजे से शुरू होती है। वह एक घंटे ध्यान और हल्का व्यायाम करते हैं। वह सुबह 5 से 6.30 बजे तक लेखन कार्य करते हैं। इसके बाद तैयार होकर अपने ऑफिस आ जाते हैं। वहां पर चार घंटे तक पीडि़त लोगों को नि:शुल्क कानूनी सलाह देते हैं। कुछ देर आराम करने के बाद दोपहर 2 से शाम 6 बजे और रात्रि 8 से 10 बजे तक नियमित रूप से लेखन का कार्य करते हैं। उन्होंने कहा कि वृद्धजनों को पैसा नहीं घरों में सम्मान मिलना चाहिए। समाज में बुजुर्गो की अनदेखी ज्वलत: समस्या बन गई है।

नियमित लिखते हैं एक पन्ना, समाज कार्य भी सक्रिय
सेवानिवृत हैडमास्टर चतुर कोठारी की उम्र 88 वर्ष है। इनकी दिनचर्या सुबह 4.45 बजे से शुरू होती है। यह नियमित रूप से हल्का व्यायाम और ध्यान आदि करते हैं। इसके बाद पक्षियों के दाना-पानी रखना और पेड़ों में पानी डालना नियमिति दिनचर्या में शामिल है। यह आज भी अपने कमरे के साथ पहली मंजिल की सफाई स्वयं करते हैं और स्वयं के कपड़े खुद अपने हाथों से धोते हैं। चतुर कोठारी नियमित रूप से एक पेज आर्टिकल, कविता एवं प्रेरक बातें लिखते हैं। इन्होंने एक चार्ट भी बना रखा है। परिवार अथवा मित्र आदि के जन्मदिन और शादी की वर्षगांठ पर नियमित रूप से फोन के माध्यम से शुभकामनाएं देने के लिए समय निर्धारित कर रखा है। यह सुबह हल्का नाश्ता करते हैं और दिन में सिर्फ एक बार ही खाना खाते हैं। यह धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हैं।
(फोटो) पांच किताबें लिखी और साहित्य और संगोष्ठी में नियमित भागीदारी
सेवानिवृत अध्यापक अफलज खां अफजल की उम्र करीब 81 वर्ष है। वे आज भी नियमित रूप से काव्य और साहित्य संगोष्ठी में अपनी भागीदारी निभाते हैं। प्रतिदिन 6 से 8 घंटे गीत, गजल और कविता लिखते हैं। इनकी दिनचर्या सुबह 5 बजे से शुरू होती है। यह नियमित दिनचर्या के बाद नमाज पढऩे के बाद अखबार पढ़ते हैं। इसके बाद घरेलू काम-काज निपटाने के पश्चात दोपहर 12 से शाम 4 बजे तक लेखन कार्य करते हैं। इनकी 1970 से 71 के बीच 5 किताबें प्रकाशित हो चुकी है। तीन साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं। जिला स्तर पर भी सम्मानित हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि यदि किसी गंभीर विषय पर कुछ लिखना होता है तो रात्रि 12 बजे उठ जाते हैं और उसे पूरा करते हैं। चाहे इसमें 2-3 ही क्यों न बज जाए। शुद्ध शाकाहारी भोजन करते हैं।
40 साल से चला रहे साइकिल, 3-4 किमी नियमित वॉक
सेवानिवृत जिला शिक्षा अधिकारी जगदीश चन्द्र खण्डेलवाल पिछले 40 सालों से नियमित साइकिल चलाते हैं। प्रति सप्ताह साइकिल से श्रीनाथजी के दर्शन के लिए भी जाते हैं। वर्तमान में इनकी उम्र 71 वर्ष है। इनकी दिनचर्या सुबह 4 बजे से शुरू होती है। इसके पश्चात विभिन्न मंदिरों के दर्शन करते हुए 3 से 4 किलोमीटर नियमित वॉक करते हैं। कुछ दिनों पहले तक प्रतिदिन 5-10 किलोमीटर साइकिल चलाना दिनचर्या में शामिल है, लेकिन गत दिनों ऑपरेशन होने के कारण कुछ दिनों से साइकिल चलाना बंद कर रखा है। आगामी दिनों से फिर से साइकिल चलाना शुरू करेंगे। उनका मानना है कि स्वस्थ रहने के लिए साइकलिंग और वॉक करना बहुत जरूरी है।