ड्रोन से होगी शहरी भूमि की सटीक मैपिंग
नगरपालिका आयुक्त सौरभ कुमार जिंदल ने जानकारी दी कि इस परियोजना के तहत फ्लाइंग मैपिंग के जरिए संपत्तियों की सीमा का सटीक निर्धारण किया जाएगा। इसके साथ ही, प्रॉपर्टी की ओनरशिप डिटेल्स भी डिजिटल रूप से रजिस्टर्ड की जाएंगी, जिससे लैंड रिकॉर्ड को आधिकारिक रूप से अपडेट किया जा सकेगा। उच्च गुणवत्ता वाले मानचित्रों के जरिए संपत्ति के स्वामित्व की जानकारी आसानी से उपलब्ध हो सकेगी, और नागरिक इन्हें ऑनलाइन देख सकेंगे।
शहरी योजना को मिलेगा बढ़ावा
‘नक्शा’ परियोजना का मुख्य उद्देश्य शहरी विकास को एक नई दिशा देना है। विस्तृत मैपिंग के जरिए शहरी योजना को सशक्त बनाया जाएगा, जिससे नागरिकों के जीवन को अधिक सुविधाजनक और व्यवस्थित किया जा सकेगा। इस परियोजना के प्रमुख उद्देश्य हैं: - शहरी बस्तियों का विस्तृत भू-स्थानिक मानचित्र तैयार करना।
- भूमि उपयोग, मालिकाना हक, और अन्य संबंधित जानकारी एकत्र करना।
- शहरी विकास के लिए उपयोगी डेटा उपलब्ध कराना।
- भूमि विवादों में कमी लाना और संपत्ति अधिकारों को सुरक्षित करना।
- डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण को बढ़ावा देना।
डिजिटल इंडिया और भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण
यह परियोजना भारत सरकार के भू-स्थानिक मंत्रालय द्वारा चलाए जा रहे डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (डीआईएलआरएमपी) का हिस्सा है। इसके जरिए भूमि रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण किया जाएगा, जिससे भूमि संबंधी सूचनाओं का आदान-प्रदान और पारदर्शिता आसान होगी।
जन सहयोग से होगा सटीक सर्वेक्षण
आयुक्त जिंदल ने आम नागरिकों से अपील की है कि वे भू-राजस्व अधिनियम 1956 की धारा 141 (एफ) के तहत अपनी संपत्तियों की सीमाओं पर चिन्ह स्थापित करें। उन्होंने विशेष रूप से परस्पर सीमाओं को पीले रंग से चिह्नित करने का अनुरोध किया, ताकि ड्रोन फोटोग्राफी के दौरान भूमि की सही सीमा का माप लिया जा सके।
भूमि विवादों में कमी और विकास को गति
इस पायलट प्रोजेक्ट के सफल क्रियान्वयन के बाद, इसे राज्य के अन्य शहरों में भी लागू किया जा सकता है। यह पहल भूमि विवादों को कम करने, संपत्ति के अधिकारों को सुरक्षित करने और शहरी क्षेत्रों में सुव्यवस्थित विकास को तेज़ी से आगे बढ़ाने में सहायक साबित होगी।