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राघव सागर छलका, सोपरी बांध में बस चार फीट की प्यास बाकी

बारिश की बौछारों ने देवगढ़ इलाके के तालाबों और बांधों को जैसे नया जीवन दे दिया है।

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Raghav Sagar

Raghav Sagar

राजसमंद. बारिश की बौछारों ने देवगढ़ इलाके के तालाबों और बांधों को जैसे नया जीवन दे दिया है। नगर का दिल कहे जाने वाला राघव सागर तालाब अब पानी से लबालब हो चुका है। हवाओं की मस्ती के साथ इसकी रपट से पानी उफन कर दूसरी तरफ छलकने लगा है। आसपास के गांवों के लोग इस नजारे को देखने उमड़पड़े हैं। तालाब में जैसे ही एक फीट और पानी आया, ओवरफ्लो तय है!

सोपरी बांध: अब बस चार फीट दूर पूरा भरने से

देवगढ़ का मुख्य पेयजल स्रोत सोपरी बांध भी अच्छी बारिश से मुस्कुरा उठा है। अब तक यह 12 फीट तक भर चुका है, यानी इसमें सिर्फ चार फीट की जगह बची है। लगातार बारिश और पहाड़ियों से आती नदियों के पानी ने बांध को नई जिंदगी दे दी है। नगरवासी भी राहत महसूस कर रहे हैं कि इस बार गर्मियों में पानी की किल्लत नहीं झेलनी पड़ेगी।

मुंदेला एनिकट उफनाया, राघव सागर को दी नई ताकत

स्वादड़ी के पास आमेट मार्ग पर स्थित मुंदेला एनिकट सोमवार को पूरे वेग से ओवरफ्लो हो गया। इसके ओवरफ्लो होने से राघव सागर में भी पानी की आवक तेज हो गई है। तालाब का पानी अब रपट से किनारों को छूकर बह रहा है। चारों ओर लहरें और ठंडी हवा मिलकर ऐसा नजारा बना रही हैं कि लोग तस्वीरें लेने से खुद को रोक नहीं पा रहे।

दौलपुरा का मानसरोवर भी छलका

उधर, दौलपुरा पंचायत के मानसरोवर तालाब में भी पानी की आवक इतनी हुई कि सोमवार देर रात तालाब छलक गया। खेत-खलिहान हरियाली से पट गए हैं, हर जगह से पानी की टपकन, नालों की आवाज और तालाबों की लहरें अब गांवों को खुशहाली का भरोसा दे रही हैं।

पर्यटन स्थलों पर फिर लौटी रौनक

बारिश ने देवगढ़ क्षेत्र के पर्यटन स्थलों को भी चमका दिया है। गौरीधाम, गोरमघाट और भीलबेरी में फिर से चहल-पहल लौट आई है। पर्यटक अब हरियाली, झरनों और भरे तालाबों के बीच सुकून तलाशने पहुंचने लगे हैं।

मौसम भी बना खुशगवार

सोमवार सुबह से ही बादलों की आवाजाही जारी रही- देर शाम तक रिमझिम फुहारें पड़ती रहीं। मंगलवार को भी दिनभर बादल मंडराते रहे और हल्की हवाओं ने मौसम को खुशनुमा बना दिया।

अब उम्मीद-फसलों में जान और तालाबों में पानी

अच्छी बारिश ने जहां तालाबों को भर दिया, वहीं खेतों की प्यास भी बुझा दी। गांव-गांव में खेत लबालब नजर आ रहे हैं-धान, मक्का और दूसरी फसलें अब जोर पकड़ने लगी हैं। ग्रामीणों को उम्मीद है कि इस बार अच्छा पानी, अच्छी फसल और अच्छी खुशहाली तीनों साथ मिलेंगी।