अब तक पूरे प्रदेश में लगभग 22.30 लाख परिवारों ने स्वेच्छा से नि:शुल्क गेहूं का त्याग कर जागरूक नागरिक होने का परिचय दिया है। ऐसे परिवारों का कहना है कि यह योजना केवल उन गरीब एवं जरूरतमंद लोगों के लिए है, जो वास्तव में इसके हकदार हैं।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के अंतर्गत पात्र परिवारों को नि:शुल्क खाद्यान्न उपलब्ध कराने के उद्देश्य से संचालित योजनाओं में पारदर्शिता एवं वास्तविक जरूरतमंदों तक लाभ सीमित रखने के लिए ‘गिव अप अभियान’ चलाया जा रहा है। इसके तहत ऐसे परिवार जो स्वयं को इस सुविधा के लिए अपात्र मानते हैं, वे स्वेच्छा से इस योजना से बाहर हो रहे हैं। वहीं अब अपात्र लोग 31 अगस्त तक गिवअप कर सकेंगे।
राज्य सरकार ने 27 सितम्बर 2018 की अधिसूचना के माध्यम से खाद्य सुरक्षा योजना के लाभार्थियों के लिए अपात्रता के स्पष्ट मानक तय किए थे। इन्हीं मानकों के अनुसार ‘गिव अप अभियान’ को गति दी गई। अब तक पूरे प्रदेश में लगभग 22.30 लाख परिवारों ने स्वेच्छा से नि:शुल्क गेहूं का त्याग कर जागरूक नागरिक होने का परिचय दिया है। ऐसे परिवारों का कहना है कि यह योजना केवल उन गरीब एवं जरूरतमंद लोगों के लिए है, जो वास्तव में इसके हकदार हैं।
राजसमंद जिले में अब तक 2873 चयनित परिवारों के कुल 11501 सदस्यों ने इस योजना से स्वैच्छा से नाम हटवाया है। यह जिले में लोगों की जागरूकता और जरूरतमंदों के प्रति सामाजिक जिम्मेदारी को दर्शाता है।
खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत निम्न श्रेणियों के परिवार स्वत: निष्कासन सूची में आते हैं:
जिन परिवारों में कोई आयकर दाता हो।
जिन परिवारों का कोई सदस्य सरकारी, अर्द्ध-सरकारी अथवा स्वायत्तशासी संस्थानों में कर्मचारी या अधिकारी के रूप में कार्यरत हो।
जिन परिवारों की वार्षिक पारिवारिक आय एक लाख रुपये से अधिक हो।
जिन परिवारों के पास कोई चार पहिया वाहन हो। (ट्रैक्टर एवं वह वाणिज्यिक वाहन जिन्हें जीविकोपार्जन के लिए उपयोग में लिया जाता है, उन्हें अपवाद स्वरूप मान्यता दी गई है।)
राज्य सरकार ने सभी संबंधित परिवारों से अपील की है कि यदि वे उपरोक्त अपात्रता की श्रेणियों में आते हैं, तो वे 31 अगस्त तक अपने क्षेत्र के संबंधित उपखंड कार्यालय या जिला रसद कार्यालय में उपस्थित होकर या फिर खाद्य विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन करके स्वैच्छा से अपना नाम खाद्य सुरक्षा योजना से हटवा सकते हैं।