
8 वीं के बाद बेटियों की पहुंच से दूर हैं स्कूल!राउप्रावि से 5 से 10 किमी के अंतर में हैं जिले के दर्जनों माध्यमिक विद्यालय
राजसमंद. जिले में बेटियों की शिक्षा में आज भी स्कूलों की कमी और संशाधनों का अभाव आड़े आ रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में ४० फीसदी से अधिक बेटियां नजदीक स्कूल नहीं होने के कारण पढ़ाई से वंचित रह जाती हैं। दिए गए केस तो उदाहरण मात्र हैं, जिले में दर्जनों प्राथमिक, उच्च प्राथमिक विद्यालय है जहां से माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों की दूरी ६ से १२ किमी तक हैं। ऐसे बेटियों का शिक्षा से नाता टूट रहा है।
इस वर्ष दो स्कूल हुए क्रमोन्नत
जिले में इसवर्ष शिक्षा विभाग द्वारा दो स्कूलों को क्रमोन्नत किया गया है, इसमें एक आमेट पंचायत समिति का मूंदडा यूपीएस है तथा दूसरा कुंंभलगढ़ पंचायत समिति का बडग़ुला यूपीएस शामिल है। दोनों विद्यालयों को क्रमोन्नत किया
गया है।
दर्जनों विद्यालयों को क्रमोन्नत की दरकार
जिले में ऐसे एक दर्जन से अधिक यूपीएस विद्यालय हैं, जहां २०० से ऊपर बच्चों का नामांकन है, और यहां से उच्च माध्यमिक विद्यालय की दूरी ५ से १० किमी की है।
नियमों का अडंगा...
&विद्यालय क्रमोन्नत करने के लिए स्कूल की अंतिम कालांश में २८ से अधिक बच्चे होने चाहिए, इसके बाद स्कूल प्रबंधन समिति, पंचायत आदि क्रमोन्नत का आवेदन कर सकते हैं।
भरत कुमार जोशी, जिलाशिक्षाधिकारी माध्यमिक, राजसमंद
केस एक
खमनोर पंचायत समिति की शिशोदा ग्राम पंचायत के सतलेवा में संचालित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में इस वर्ष २१० बच्चे नामांकित हैं। विद्यालय विकास समिति के अध्यक्ष अर्जुनसिंह ने बताया कि यहां आठवीं के बाद स्कूल नहीं होने से बेटे तो दूर-दराज जाकर पढ़ाई कर लेते हैं लेकिन दर्जनों बेटियां शिक्षा से वंचित रह जाती हैं। इसकारण गांव की ६० से ७० फीसदी बेटियां आठवीं के बाद की पढ़ाई नहीं कर पाई हैं। ग्रामीण पिछले वर्ष २०११ से विद्यालय को क्रमोन्नत करने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि गांव से ७ किमी दूर शिशोदा, १० किमी दूर कुठवा तथा ११ किमी दूर सायों का खेड़ा में राउमावि है। विद्यालय क्रमोन्नत होने पर २ किमी की परिधि वाले मोकेला, अंटालिया, दूधीबेरी गांवों की छात्राओं को भी खासी सहूलियत हो जाएगी। सिंह ने कहा कि इसबार ग्रामीणों ने आनंदोलन किया था, शिक्षा विभाग ने १५ दिवस का समय दिया था, वह समय पूरा हो गया है लेकिन क्रमोन्नत की दिशा में कोई प्रयास नहीं हुए हैं। अब अगर २० जुलाई तक कोई कार्रवाईनहीं हुई तो ग्रामीण फिर से आंदोलन करेंगे।
केस दो
शहर से करीब १८ किमी दूर सांगठकला पंचायत का बागोटा गांव है। गांव की आबादी करीब १००० हजार है। गांव में महज उच्च प्राथमिक विद्यालय है। आठवीं के बाद आगे की पढ़ाई के लिए सापोल या सांगठ जाना पड़ता हैं। ये दोनों विद्यालय ६ से ८ किलोमीटर दूर हैं। यहां पिछले चार सालों के आकड़ों की बात की जाए तो बागोटा सहित आस-पास के गांवों से करीब ६० बेटियों ने सिर्फ नजदीक स्कूल नहीं होने से पढ़ाई छोड़ दी। सिर्फ बागोटा में ही 2014-15 में ४, 2015-१6 में 7, 2016 -17 में 8 , वर्ष 2017-१8 में 9 शिक्षा से वंचित हो गईं। अगर यहां ८वीं से आगे की शिक्षा दी जाती तो बागोटा के साथ ही २-३ किमी के दायरे के गांव भूडान, टांकों की भागल, नोहरा, खरवड़ों की भागल, गुर्जरों की भागल, चौहान की भागल, बीड़ों की भागल से भी दर्जनों बेटियां आगे की पढ़ाई कर पाती। जिन बेटियों ने शिक्षा छोड़ी उनका कहना है कि सांठनकला में 12वीं तक स्कूल हैं जो गांव से 6 किलोमीटर दूर हैं, दूसरा स्कूल सापोल में है, जिसकी दूरी 7 व पिपलांत्री की 9 किलोमीटर हैं। विद्यालय दूर होने के कारण बेटियों को शिक्षा छोडऩी पड़ी।
Published on:
18 Jul 2018 11:25 am
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