
Marbel Agitation End
राजसमंद. राजस्थान सरकार के अचानक 25% रॉयल्टी बढ़ाने के फैसले ने राजसमंद के विश्व प्रसिद्ध मार्बल उद्योग को गहरे संकट में धकेल दिया था। खदानों से उत्पादन बंद हो गया, फैक्ट्रियों की मशीनों पर ताले पड़ गए और हजारों मजदूर रोज़ी-रोटी से महरूम हो गए। 22 दिन तक चले संघर्ष और हड़ताल के बाद आखिरकार शुक्रवार को सरकार और व्यापारी संगठनों के बीच समझौता हुआ और उद्योग को आंशिक राहत मिली। सरकार ने रॉयल्टी में 40 रुपये की कमी कर दी है। अब मार्बल खदान मालिकों को प्रति टन 360 रुपये रॉयल्टी देनी होगी। इसके साथ ही खदानों से ब्लॉक डिस्पैच शुरू हो गया और बंद पड़ी फैक्ट्रियों में फिर से चहल-पहल लौटने की उम्मीद जगी है।
सरकार के नोटिफिकेशन (23 जुलाई) के बाद 1 अगस्त से खदानों से मार्बल डिस्पैच पूरी तरह बंद हो गया।
हड़ताल के दौरान 100 से ज्यादा गोदाम बंद रहे, हजारों मजदूर बेरोजगार हो गए और ट्रकों की आवाजाही पूरी तरह थम गई।
मजदूर संघों ने भी हड़ताल में कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया। उन्होंने किसी भी गाड़ी में माल भरने से इनकार कर दिया। यहां तक कि पहले से लोड हो रहे ट्रक भी खाली करवा दिए गए। इसका सीधा असर मजदूरों की रोज़ी पर पड़ा और हजारों परिवार आर्थिक संकट में आ गए।
लगातार विरोध प्रदर्शनों के दबाव में सरकार को वार्ता की मेज पर आना पड़ा। विधायक सुरेंद्र सिंह राठौड़ और दीप्ति माहेश्वरी के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से मुलाकात की। प्रतिनिधियों ने दलील दी कि पहले से ही विदेशी मार्बल, सेरेमिक टाइल्स, ग्रेनाइट और आर्टिफिशियल स्टोन से मार्बल उद्योग को कड़ी प्रतिस्पर्धा मिल रही है। ऐसे में अचानक रॉयल्टी बढ़ाना उद्योग को पूरी तरह चौपट कर देगा। मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि उद्योग को बचाना सरकार की प्राथमिकता है, जिसके बाद आंशिक राहत का रास्ता खुला। इस बैठक में कई बड़े संगठन और पदाधिकारी शामिल हुए, जिनमें उदयपुर मार्बल एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज कुमार गांगावत, संरक्षक वीरमदेव सिंह कृष्णावत, राजसमंद माइन ऑनर्स एसोसिएशन अध्यक्ष गौरव सिंह राठौड़, गंगसॉ एसोसिएशन अध्यक्ष सत्यप्रकाश काबरा, केसरिया जी मार्बल एसोसिएशन के महेंद्र सिंह सिसोदिया, विजय सिंह राठौड़ और अरविंद सिंह राठौड़ शामिल रहे।
हालांकि रॉयल्टी घटने से फिलहाल उद्योग को राहत जरूर मिली है, लेकिन चुनौतियां अभी खत्म नहीं हुई हैं।
स्पष्ट है कि मार्बल उद्योग को लंबी अवधि में स्थिरता और विकास के लिए सरकार और उद्योग जगत, दोनों को ठोस रणनीति बनानी होगी।
Published on:
23 Aug 2025 10:53 am
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