कभी अपनी साफ-सुथरी गलियों और सुव्यवस्थित बाजारों के लिए पहचाना जाने वाला शहर आज जाम और अव्यवस्था से जूझ रहा है।
राजसमंद. कभी अपनी साफ-सुथरी गलियों और सुव्यवस्थित बाजारों के लिए पहचाना जाने वाला शहर आज जाम और अव्यवस्था से जूझ रहा है। कारण है अस्थायी अतिक्रमण। शहर के दिल यानी मुख्य बाजारों से लेकर छोटे रास्तों तक, हर जगह दुकानदारों ने सड़क को ही अपनी दुकान का हिस्सा बना लिया है। द्वारकाधीश चौराहा, मुखर्जी चौराहा, पं. दीनदयाल उपाध्याय सर्किल, या राजनगर क्षेत्र, कहीं भी निकल जाइए, आपको सड़क पर ही दुकान सजी मिलेगी और उससे खड़े जाम में फंसी जिंदगी भी।
नगरपरिषद की कार्रवाई की सच्चाई किसी से छिपी नहीं है- छोटे दुकानदारों पर चालान तुरंत, लेकिन बड़े रसूखदार दुकानदारों पर कोई लगाम नहीं। हाल में प्रशासन ने दुकानों के बाहर रखे बोर्ड तो हटवा दिए, लेकिन सामान जब्त नहीं किया। नतीजा? दुकानदारों ने फिर वही किया- सामान फिर बाहर सज गया और सड़क फिर सिकुड़ गई!
शहर का प्रमुख मार्ग: मैन चौपाटी से जल चक्की भी अतिक्रमण से घिरा है। दुकानदारों का सामान बाहर रहेगा तो पैदल राहगीर से लेकर दोपहिया-चारपहिया वाहन तक, सभी परेशान होंगे। अगर यही सामान अंदर कर लिया जाए, तो रास्ता खुल जाए, जाम छूमंतर हो जाए!