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मार्बल ग्रेनाइट स्टोन के वेस्ट से बनेंगे उपयोगी प्रोडेक्ट, होगी अच्छी कमाई

- मार्बल-ग्रेनाइट क्षेत्र में निर्यात एवं प्रौद्योगिकी के अवसर पर कार्यशाला का आयोजन

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मार्बल ग्रेनाइट स्टोन के वेस्ट से बनेंगे उपयोगी प्रोडेक्ट, होगी अच्छी कमाई

राजसमंद में कार्यशाला में स्टॉल पर स्लरी से बनी ईंट के बारे में जानकारी देते सम्पत लाल सुराना।

राजस्थान. शहर के इंडस्ट्रीयल एरिया स्थित मार्बल एसोसिएशन हॉल में शुक्रवार को राजसमंद में मार्बल-ग्रेनाइट स्टोन सेक्टर में निर्यात एवं प्रौद्योगिकी के अवसर विषय पर राष्ट्रीय वर्कशॉप हुई।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम-विकास कार्यालय जयपुर की ओर से मार्बल-गैंगसा एसोसिएशन, जिला उद्योग एवं वाणिज्य केंद्र, राजसमन्द, सीएसआईआर-एएमपीआरआई भोपाल, ईसीजीसी जोधपुर और जिला अग्रणी बैंक के संयुक्त तत्वावधान में वर्कशॉप का आयोजन किया गया।
एमएसएमई डीएफओ जयपुर के सहायक निदेशक बलराम मीना ने अतिथियों का स्वागत किया। संयुक्त निदेशक प्रदीप ओझा ने कहा कि मार्बल ग्रेनाइट स्टोन के वेस्ट से कई उपयोगी प्रोडेक्ट बनाए जा सकते हैं। नई टेक्नोलॉजी से मार्बल स्लरी आदि से उपयोगी प्रोडेक्ट का निर्माण हो सकता है। सीएसआईआर एमपीआईआर भोपाल के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. अशोकन पी एवं पूर्व वैज्ञानिक डॉ. एस. के. एस राठौड़ ने स्लरी से बनने वाले उत्पाद की जानकारी दी गई।
जिला उद्योग केन्द्र के महाप्रबंधक भानू प्रताप सिंह ने राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी। कार्यक्रम में जे.के. टायर कांकरोली मुख्य महाप्रबंधक अनिल मिश्रा ने उद्यमियों से टेक्नोलॉजी एवं निर्यात से संबंधित स्कीम्स के फायदे उठाने की बात कही। मार्बल गैंगसा एसोसिएशन अध्यक्ष रवि शर्मा ने मार्बल-ग्रेनाइट-स्टोन सेक्टर में आने वाली टेक्नोलॉजी एवं स्लरी से नए उत्पाद, स्लरी का वॉल पुट्टी में उपयोग, विभिन्न टेक्नोलॉजी प्रदाता जैसे स्टोन राउटर, वायर कट टेक्नोलॉजी, सीएनसी लेजर, वाटर जेट आदि के बारे में जानकारी दी। प्रदर्शनी मे भोपाल, बावल, नागपुर, कोटा, जयपुर, उदयपुर, राजसमन्द आदि से तकनीकी प्रदाताओं ने स्टाल के द्वारा विभिन्न तकनीकी के बारे मैं बताया। कार्यक्रम में राजसमन्द, उदयपुर, चित्तौडगढ़़, भीलवाड़ा, सिरोही, जालोर जिला के मार्बल-ग्रेनाइट-स्टोन सेक्टर में कार्यरत लोगों ने भाग लिया।

स्लरी से बनाई जा रही ईंट, सीमेंट की तरह ले रहे काम
सिंचाई विभाग के सेवानिवृत इंजीनियर सम्पत लाल सुराना ने बताया कि 2002 में सेवानिवृत होने के बाद से इसी काम में लगे हैं। उन्होंने बताया कि स्लरी से ईंट बनाई जा रही है। यह लाल ईंट के मुकाबले मजबूत होती है और सस्ती भी पड़ती है। उन्होंने बताया कि इसका उपयोग नाथद्वारा में बन रही बिल्ंिडग में किया जा रहा है। इसके साथ ही इसे सीमेंट की तरह भी काम में लिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि मार्बल स्लरी का सही तरह से उपयोग लिया जाए तो जिले में कोई भी बेरोजगार नहीं रहेगा।

स्लरी से बन रही वॉल टाइल और फॉर सिलिंग
सीएसआईआर भोपाल के पीएचडी स्कॉलर रवि पाटीदार ने बताया कि मार्बल की स्लरी से वॉल टाइल, रूफ शीट आदि बनाई जा सकती है। फॉर सिलिंग, पार्टिकल पोर्ट और वॉल टाइल आदि में 70 से 75 प्रतिशत मार्बल की स्लरी का उपयोग किया जाता है। इसके ऊपर सनमाइका लगाई जाती है। इससे यह चमकदार भी दिखाई देते हैं। इसके साथ ही सीसल लीफ की पत्तियों से नेचुरल फाइवर से हैंडीक्राफ्ट के आइटम भी तैयार किए जा सकते हैं। यह बहुत मजबूत भी होता है।