होटलें सजकर तैयार
इस खास मौके पर 5 दर्जन से ज़्यादा होटलें सज-धज कर तैयार हैं और इनमें पर्यटकों के ठहरने का इंतजाम किया गया है। भव्य सजावट, शानदार कमरे और बेहतरीन सेवाओं के साथ हर होटल में आने वाले पर्यटकों के लिए नववर्ष का जश्न और भी यादगार बनने वाला है। नव वर्ष के जश्न से पूर्व ही सभी होटल फुल हो चुके हैं और यह इस क्षेत्र के बढ़ते पर्यटन आकर्षण का एक और संकेत है।
कैंप फायर का उठाएंगे आनंद
सर्दी में गरमाहट का पूरा आनंद उठाने के लिए यहां कैंप फायर, बार और आरामदायक सुविधाएं उपलब्ध होंगी। वहीं, हर कदम पर आपको मिलेगा राजस्थानी लोक कला नृत्य, पाश्चात्य संगीत और नृत्य का अनोखा संगम। इस उत्सव को और भी रोमांचक बनाने के लिए एफएम रेडियो के लोकप्रिय आरजे और टीवी शो के एंकर भी इस जश्न का हिस्सा बनेंगे।
पर्यटकों की संख्या में बढोतरी
होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष भरतपाल सिंह शेखावत ने बताया कि कुंभलगढ़ में लगभग 50 होटल हैं, जिनमें 2,500 कमरे और 7,500 पर्यटकों के ठहरने का इंतजाम है। 30 दिसंबर से 2 जनवरी तक यहां की सभी प्रमुख होटलें फुल हो चुकी हैं। इन दिनों में कुंभलगढ़ आने वाले पर्यटकों की संख्या में रिकॉर्ड वृद्धि देखी गई है, जिनमें 650-700 विदेशी और 30,000 से 35,000 देसी पर्यटक शामिल हैं।
छोटे पड़ने लगे पार्किंग स्थल
शीतकालीन अवकाश के चलते कुंभलगढ़ की सड़कों पर वाहनों की भीड़ बढ़ गई है, और यहां के पार्किंग स्थल अब छोटे पड़ने लगे हैं। दुर्ग और व्यू प्वाइंट के आसपास सड़क के दोनों किनारों पर वाहनों की पार्किंग की व्यवस्था की जा रही है ताकि हर पर्यटक को कुंभलगढ़ की सुंदरता का अनुभव हो सके।
ये हैं आकर्षण का केन्द्र
कुंभलगढ़ केवल दुर्ग तक सीमित नहीं है। यहां के द ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया, मेवाड़-मारवाड़ ट्रेकिंग एडवेंचर, लेक बोटिंग, परशुराम महादेव, वीरों का मठ, जंगल सफारी, और फिश पॉइंट जैसे अनेक दर्शनीय स्थल भी पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं। इसके अलावा, चारभुजानाथ, आमज माता, रणकपुर और श्रीनाथ जी जैसे धार्मिक स्थल भी इस क्षेत्र के समृद्ध इतिहास और संस्कृति को जीवित रखते हैं। कुंभलगढ़ की यात्रा सिर्फ सर्दी, स्वाद और संगीत तक ही सीमित नहीं, बल्कि आपके दिल में हमेशा के लिए बस जाएगी। कुंभलगढ़ का यह अद्भुत जश्न आपको एक नई ऊर्जा और अनमोल यादों के साथ नववर्ष की शुरुआत करने का मौका देगा।
इसलिए है कुंभलगढ़ खास
कुंभलगढ़ को अजेय किला कहा जाता है क्योंकि यह अरावली की पहाडिय़ों पर इतनी कुशलता से बनाया गया है कि इसे कोई भी आक्रमणकारी जीत नहीं सका दुश्मनों का भ्रमित करने और रक्षा के लिए इसकी भौगोलिक स्थिति एक महत्वपूर्ण कारण रही है। यह किला न केवल अपनी वास्तु कला बल्कि ऐतिहासिक महत्व के लिए भी जाना जाता है। यह महाराणा प्रताप की जन्म स्थली भी है।