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#onceuponatime:कभी ऐसी थी इस शहर में नबाबों की शान-ओ-शौकत, सड़कें हो जाती थी खाली

मुख्य बातें नबाब की सवारी से पहले सड़कें हो जाती थीं खाली नबाब के महल हो चुके खंडहर विरासत को सजोने की किसी ने नहीं की पहल

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रामपुर: वंस अपॉन अ टाइम में आज हम बात करेंगे रामपुर में नबाब खानदान की विरासत और उनके रहन सहन को लेकर। जी हां कहा जाता है कि शहर में जब नबाब की सवारी निकलती थी तो सड़कें खाली हो जाती थीं। टीम पत्रिका ने कुछ पुराने बुजुर्गों से इस बारे में बात भी की। जिसमें उन्होंने इस दावे की तस्दीक भी की।

पहली तस्वीर रामपुर के तत्कालीन नबाब फैजुल्ला अली खान सहाब के महल की है जिसकी स्थिति और खराब हो रही है। महल के आसपास कभी कोई आंख उठा कर नहीं देखता था। आज आवारा पशु घूमते हैं वीराना रहता है यह इलाका। इसी महल से सटा हुआ है नूर महल जहां पर रामपुर की पूर्व सांसद और नवाब घराने की प्रमुख बेगम नूरबानो साहिबा काजिम अली खान के साथ रहती हैं। स्थिति नबाब के राज महल की भी खराब है। इसी के बराबर में है कोठी खास बाग खास बाग में विदेशों से आम के पेड़ उस समय के नबाब लेकर आए थे आज भी कुछ पेड़ यहां पर नजर आ रहे हैं।

तीस किलोमीटर लम्बी थी गुफा

नबाब घर आने में नौकरी करने वाले सलीम के बेटे पत्रिका उत्तर प्रदेश को बता रहे हैं कि जब नवाबों का राज रामपुर में था तब सड़कों पर कोई भी नजर नहीं आता था। ना ज्यादा यहां पर आबादी थी नबाब जब निकलते थे तब एक अलाउंस मेंट होता था कि नवाब यहां से निकल रहे हैं। कोई सड़कों पर नजर नहीं आए। रजा लाइब्रेरी से शाहाबाद किले तक 30 किलोमीटर लंबी एक सुरंग है। यहां भी नबाब की एक फैमिली रहती थी ।वहां पर भी आलीशान इमारत है और उस इमारत की भी स्थिति इन दिनों खराब है इन इमारतों को लोक देखने के लिए आते है।

उपेक्षा का शिकार किला

नबाब हामिद अली ख़ान के जमाने में यह इमारतें अपने नाम और अपने काम के लिए जानी जाती थी। लेकिन नबाब ही खत्म होने के बाद से ही इन इमारतों में सन्नाटा पसर गया और ऐसा सन्नाटा पसरा कि अभी तक सन्नाटा ही सन्नाटा है। यहां पर दूसरे स्टेट के राजा भी आते थे रात में महफिल सजा करती थी। लेकिन अब यहां की स्थिति बदहाल है। उसे अच्छा करने के लिए ना तो नवाब परिवार की तरफ से कोई पहल की और न ही सरकार की तरफ से।