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झारखंड में कांग्रेस की जीत के लिए जुट गए मधु कोड़ा

कभी भाजपा के टिकट पर ही विधायक बने थे, मंत्री बने थे, लेकिन अब पार्टी का कांग्रेस में किया विलय और जीत के लिए हुए सक्रिय

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कांग्रेस की चकित करने वाली जीत

कांग्रेस की चकित करने वाली जीत

रांची। पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा कांग्रेस को जीत दिलाने के लिए दिलोजान से लग गए हैं। कांग्रेस ने उन्हें अभी विधिवत भले ही कोई जिम्मेदारी नहीं दी है, लेकिन कांग्रेस के कार्यकर्ता अब मधु कोड़ा को पूरा भाव देने लगे हैं और मधु कोड़ा भी जहां जाते हैं कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से मिलकर उनमें जोश भरने का काम करते हैं।
झारखंड में कोलेबिरा सीट से कांग्रेस की चकित करने वाली जीत से भी कांग्रेस और मधु कोड़ा को बल मिला है।एक आशंका थी कि मधु कोड़ा के कांग्रेस में आने से पार्टी को नुकसान होगा, लेकिन विधानसभा उपचुनाव की जीत ने कांग्रेस के कदम को सही साबित किया है। कांग्रेस अपने प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार के नेतृत्व में झारखंड में अपनी स्थिति सुधारने में जुट गई है। झारखंड में महागठबंधन बनना भी तय है, जिसमें कांग्रेस, झामुमो, झारखंड विकास मोर्चा, राष्ट्रीय जनता दल की मुख्य भूमिका होगी। मधु कोड़ा अपनी भारत समानता पार्टी का कांग्रेस में पहले ही विलय कर चुके हैं।

पहले भाजपा में थे मधु कोड़ा
मधु कोड़ा भाजपा में रहते हुए ही वर्ष 2000 में पहली बार जगन्नाथपुर से विधानसभा चुनाव जीते थे और झारखंड की पहली राज्य सरकार में मंत्री बनाए गए थे। पहले वे बाबूलाल मरांडी की सरकार में राज्यमंत्री रहे और उसके बाद अर्जुन मुंडा की सरकार में मंत्री।
वर्ष 2005 में जब भाजपा ने मधु कोड़ा को टिकट नहीं दिया, तो वे निर्दलीय ही चुनाव लडक़र जीते। शुरू में तो उन्होंने भाजपा या राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का साथ दिया, लेकिन बाद में तीन निर्दलीय विधायकों के साथ व्रिदोह पर उतर आए। झारखंड मुक्ति मोर्चा, राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के समर्थन से मुख्यमंत्री बन बैठे।

29 की उम्र में राज्यमंत्री
मधु कोड़ा की ख्याति इसलिए है कि वे निर्दलीय रहते हुए ही झारखंड के मुख्यमंत्री बन गए थे। वे झारखंड के चौथे मुख्यमंत्री थे। वे 29 की उम्र में विधायक और राज्यमंत्री बन गए थे। मात्र 35 की उम्र में वे मुख्यमंत्री बन गए थे। वे 24 सितंबर 2006 से लेकर 23 अगस्त 2008 तक लगभग 23 महीने तक झारखंड के मुख्यमंत्री रहे थे।

काली कमाई का आरोप
मुख्यमंत्री रहते खदान आवंटन में लगभग 4000 करोड़ रुपए की काली कमाई का उन पर आरोप लगा। देश और विदेश में उनकी संपत्ति होने के आरोप लगे। वे गिरफ्तार हुए, वर्ष 2009 से 2013 तक लगभग साढ़े तीन साल वे जेल में बंद रहे, उसके बाद जमानत पर रिहा हुए। दिसंबर 2017 में कोर्ट ने उन्हें तीन साल की सजा सुनाई है और २५ लाख का जुर्माना लगाया है। इस सजा के खिलाफ मधु कोड़ा ने अपील कर रखी है।

35 की उम्र में मुख्यमंत्री
मधु कोड़ा निर्दलीय रहते हुए भी मुख्यमंत्री रहे तीसरे नेता हैं। मधु कोड़ा से पहले ओडिशा में बिश्वनाथ दास वर्ष 1971 में 82 की उम्र में निर्दलीय रहते मुख्यमंत्री बने थे। उसके बाद मेघालय में एफ. ए. खोंगलम 56 की उम्र में वर्ष 2001 में निर्दलीय विधायक रहते मुख्यमंत्री बने। मधु कोड़ा निर्दलीय रहते मुख्यमंत्री बने सबसे युवा नेता हैं - वे 35 की उम्र में मुख्यमंत्री बन गए थे।

छवि पर आंच
मधु कोड़ा वर्ष 2014 में विधानसभा चुनाव हार चुके हैं। घोटाले की वजह से जेल जाने और छवि पर आई आंच के कारण उन्होंने खुद को पीछे करके अपनी पत्नी गीता कोड़ा को आगे कर दिया था। गीता कोड़ा अभी विधायक हैं। मधु कोड़ा को मुख्यमंत्री बनाने में कांग्रेस की बड़ी भूमिका रही थी और तभी से दोनों की नजदीकी है।