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400 साल पहले गुफा में मिले थे यहां पर भगवान गणेश साथ महादेव

भारत में बाबा महादेव के अनेक प्राचिन मंदिर है। इनमे ही एक गुफेश्वर महादेव मंदिर मध्यप्रदेश के रतलाम जिले में है। इस मंदिर में जाने के लिए पहले पहाड़ी पर चढ़ाई करना होती है, फिर गुफा के रास्ते बाबा के मंदिर में जाने को मिलता है। करीब 400 वर्ष पूर्व यह गुफा के बारे में एक परिवार को पता चला था।

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400 साल पहले गुफा में मिले थे यहां पर भगवान गणेश साथ महादेव

400 साल पहले गुफा में मिले थे यहां पर भगवान गणेश साथ महादेव

रतलाम. भारत में बाबा महादेव के अनेक प्राचिन मंदिर है। इनमे ही एक गुफेश्वर महादेव मंदिर मध्यप्रदेश के रतलाम जिले में है। इस मंदिर में जाने के लिए पहले पहाड़ी पर चढ़ाई करना होती है, फिर गुफा के रास्ते बाबा के मंदिर में जाने को मिलता है। जिला मुख्यालय से करीब 8 किमी दूर पर्यावरण पार्क से पहले ही इस मंदिर में जाने की पहाड़ी का कच्चा मार्ग शुरू हो जाता है। करीब 400 वर्ष पूर्व यह गुफा के बारे में एक परिवार को पता चला था। तब से परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी पूजा कर रहा है।

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पैदल ही जाना होता है मंदिर तक

असल में इस मंदिर के करीब ही जामण नदी कलकल करके बहती है। नदी पर स्टापर बनाया गया है। इस स्टापर के रास्ते ही पहाड़ी पर जाने के बाद ही गुफेश्वर महादेव मंदिर पर जाने को मिलता है। इस स्टापर के चलते आगे के रास्ते पर वाहन नहीं जा पाते है। इस पहाड़ी में ही एक बड़ी चट्टान के बीच बड़ी गुफा है। इस गुफा के रास्ते से ही मंदिर में अंदर जाने को मिलता है। मंदिर के पुजारी के अनुसार के अनुसार मंदिर के करीब जो कुआं है वो गर्मी में भी पूरा भरा रहता है व इसके अंदर से उज्जैन में जाने का मार्ग है। नदी पर स्टॉपर बनाया गया है इस स्टॉपर से होकर पहाड़ी पर गुफेश्वर महादेव जाने को मिलता है।

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इनकी है मंदिर में प्रतिमा

इस गुफा में प्राचीन नागदेवता व भगवान गणेश की भी प्रतिमा है। यहां के पुजारी भगत गवरा जी बताते है कि वर्षों से पीढ़ी दर पीढ़ी वह यहां सेवा करते आ रहे है। यह गुफा वर्षो पहले उनके पुरखों करीब 400 वर्ष पूर्व देखी तब से यही शिवसेवा में लग गए थे। पुजारी भगत गवरा जी द्वारा बताया गया कि बारिश के दिनों में नदी में पानी आने से कई कई दिनों तक शहर आना जाना नही होता है। पहले बारिश के बाद नदी में पानी उत्तर जाता था तो वाहन ऊपर गुफा तक आ जाते थे, लेकिन स्टॉपर बन जाने के बाद अब यहां लोगो का आना जाना कम हो गया है।

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