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cs result 2018: टेलर और किसान की बेटी ने सीएस एग्जाम में कमाया नाम

एक ने खुद पढ़ाई का खर्चा उठाया तो दूसरी के पिता किसान, मामला सीएस की परीक्षा में रतलाम का नाम चमकाने वाली बेटियों की सफलता का

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रतलाम। शहर की तीन बेटियों ने कंपनी सेकेट्री की परीक्षा में जो सफलता के झंडे गाडे है, वो एक दिन की मेहनत नहीं है। नि:संदेह सफलता घंटो की पढ़ाई के बाद मिलती है, लेकिन इन बेटियों की इस सफलता में माता-पिता के साथ-साथ स्वयं की इनकी जो मेहनत है, वह पढऩे के बाद आप भी इस खुशी से झूम उठेंगे की आपके शहर की बेटियां कितनी काबिल है।

सबसे पहले बात नेहा मुगल की
नेहा बीकॉम प्रथम वर्ष की छात्रा है। पिता शहजाद मुगल कुवैत में टेलर है व माता सायना आम भारतीय महिला की तरह घरेलु महिला है। नेहा को लगा की बीकॉम के साथ-साथ सीएस भी पढऩा चाहिए। नेहा के अनुसार शिक्षा का अतिरिक्त ये व्यय था। तब उन्होने मोहल्ले के बच्चों को पढ़ाने का काम शुरू किया। हालाकि मामूली रकम इस पढ़ाने में मिलती है, लेकिन उन्होने अपनी कोचिंग का कुछ व्यय स्वयं उठाया। मां का कहना है की मेर लाडो किसी छोरे से कम नहीं है। एेसी बेटी सभी की हो। बेटी की सफलता पर मां भी उत्साहित है। नेहा के अनुसार उन्होने ६ से ७ घंटे की पढ़ाई की। बे्रक पद्धती को पढ़ाई में अपनाया। कुछ समय पढ़ा, फिर बे्रक लिया इस तरह।

पिता खेत में हल चलाते है
शिवानी पाटीदार मूल रुप से धार जिले के बदनावर के करीबी गांव कोंद की है। पिता खेत में हल चलाते है। पिता की जीद थी की बेटी शहर में पढे़ व गांव का नाम रौशन करे, तो मामा के यहां भेज दिया। मामा भी लुहार रोड पर मोटर वाइडिंग की दुकान चलाते है। बीकॉम प्रथम वर्ष में पढने वाली शिवानी के अनुसार पिता मुकेश व मां गायत्री को वे वादा करके आई थी, स्वयं के साथ-साथ परिवार का नाम रोशन करुंगी। ये कर दिखाया है। भविष्य में बनना तो कंपनी सेकेट्री ही है, लेकिन साथ ही बेहतर इंसान भी बनना है। शिवानी के अनुसार उन्होने सीएस की तैयारी के लिए दिन में करीब ५-६ घंटे पढ़ाई की।

पिता व्यापारी, कांसेप्ट क्लियर रखो
देश में दूसरा नंबर बनाने वाली मुस्कान जैन के पिता व्यापारी व मां घरेलु महिला है। मुस्कान के अनुसार पिता ने पहले ही दिन कहा था की जिंदगी में कुछ भी पढ़ो, उसको रटो मत, बस अपना कांसेप्ट क्लियर रखो। ये बात जीवन में हर जगह लागू हो तो कोई परेशानी नहीं आएगी। इस बात पर अमल किया, ओर दूसरा नंबर आ गया। बीकॉम प्रथम वर्ष की पढ़ाई करने वाली मुस्कान के अनुसार जो भी पढे़, वह समझ में आना जरूरी है। समझ में आ गया तो फिर परेशानी कभी नहीं आएगी।