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‘पुस्तकों का अध्ययन जरूरी, ये जेब में रखे बगीचे के समान है’

अंग्रेजी नववर्ष 2023 का मूलांक 7 है। 7 नंबर ज्योतिष में केतू का होता है। केतू का कार्य व्यक्ति को माया से दूर कर धर्म के मार्ग पर ले जाना है। जिस व्यक्ति ने अपने जीवन में दंड, धर्मध्वजा व अपनी संस्कृति को पकड़ा है, उसका 2023 सर्वोत्तम होगा।

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happy new year latest news

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आशीष पाठक

रतलाम. अंग्रेजी नववर्ष 2023 का मूलांक 7 है। 7 नंबर ज्योतिष में केतू का होता है। केतू का कार्य व्यक्ति को माया से दूर कर धर्म के मार्ग पर ले जाना है। जिस व्यक्ति ने अपने जीवन में दंड, धर्मध्वजा व अपनी संस्कृति को पकड़ा है, उसका 2023 सर्वोत्तम होगा। इसी वर्ष भारत के बेहतर भविष्य का नया सूरज उदय होगा। बड़े हो या बच्चे, अवसाद में जी रहे हैं, इसलिए आत्महत्या जैसी घटनाएं बढ़ रही है, परिवार के बड़े अगर बच्चों के साथ सप्ताह में एक बार भी भोजन करें, उनको समय दे तो इस प्रकार की घटनाएं 90 प्रतिशत कम हो जाएगी। ये कहना है साहित्यकार, ज्योतिषी प्रोफेसर अजहर हाशमी का। विभिन्न मुद्दों पर हाशमी से पत्रिका के साथ बातचीत।

पत्रिका - इस समय पैर, कमर, कंधों में दर्द की समस्या बढ़ रही है। ज्योतिषी के रुप में इसे किस तरह देखते हैं?

प्रो हाशमी - बुध चमड़ी, शनि बाल व श्वांस, सूर्य हडडी, मंगल रक्त, चंद्र मन से जुड़े रोग देता है। सूर्य नमस्कार करें, उगते सूर्य के दर्शन करें, ये भी संभव नहीं हो तो एक बार जल्दी उठकर उगते सूर्य को फोटो अपने मोबाइल में ले, इसको प्रतिदिन उठते ही देखें, लाभ होता है। शनि के लिए कंबल, स्वेटर, तिल या तेल का दान करें।

पत्रिका - इन दिनों युवाओं में अवसाद जल्दी आ रहा है, आत्महत्या जैसी घटनाएं बढ़ रही है।

प्रो हाशमी - ये बात सही है, लड़ने की प्रवृत्ति कमजोर हो रही है। आत्महत्या जैसी घटना के चार प्रमुख कारण मानता हूं। पहला कॅरियर का अवसाद, इंटरनेट, प्रेम में विफलता, जलवायु परिवर्तन। जब नदी का प्रवाह बदल रहा है, पहाड़ अपना आकार बदल रहे हैं, झील में बदलाव हो रहा है, तो हम जिस पर निर्भर है, वो भी हमको प्रभावित करते हैं। इसका असर ये हो रहा है कि समय से पहले शरीर में बदलाव हो रहे है। सकारात्मता को जीवन में लाएं।

पत्रिका - आप शिक्षक रहे, वर्तमान दौर में नंबरों की होड़ है।

प्रो हाशमी - माता - पिता से ये बात कहना चाहता हूं, अपने बच्चों की अन्य बच्चों से कभी तुलना नहीं करें। नंबर के प्रतिशत के पीछे मत भागो, उनके साथ बैठकर संवाद करो, भोजन करो। सप्ताह में एक दिन को परिवार साथ भोजन करें। स्वस्थ्य संवाद होगा तो अवसाद हावी नहीं होगा।

पत्रिका - बात साहित्य की करें, इन दिनों सोशल मीडिया के दौर में हर व्यक्ति कवि हो गया।

प्रो हाशमी - कविता इबादत की तरह होती है। इबादत याने प्रार्थना, इसमे मंत्र, आयत, वेद की ऋचाएं सब शामिल है। किसी का अपमान नहीं हो, दो अर्थ वाले चुटकले नहीं हो, वो ही कविता है। आप माता - पिता, बच्चों के साथ बैठकर जो सुन सकें, वो कविता है। चुटकलों के चबूतरे पर अश्लीलता की जाजम इन दिनों कवि सम्मेलन होकर रह गए।

पत्रिका - आपने रामवाला हिंदुस्तान लिखी, लाल किले की प्राचीर से पूरे विश्व को इसे सुनाया गया। मन में ये कविता का भाव आया कैसे?

प्रो हाशमी - परिवार विशेषकर पिता सुफियाना मिजाज के रहे। जहां घर था, वहां आसपास श्री राम, हनुमान, माता के मंदिर रहे। तब आज की तरह सोशल मीडिया नहीं था। सब जगह आना - जाना था। सुफियाना गुण मतलब जहां सब्र, संयम, सर्वधर्म सदभाव का साहस व सम्मान हो ये सब पिता से मिला।

पत्रिका - आपने चारों वेद पढ़ लिए, उपनिषद पढ़ लिए।

प्रो हाशमी - पुस्तक जीवन में जेब में रखा हुआ बगीचा होती है। ये पढ़ना चाहिए। जरूरी नहीं है कि मेरी तरह हर धर्म की पुस्तक का अध्ययन हो, आपको प्रेमचंद, विमलमित्र, हरिवंशराय बच्चन जो पसंद हो, वो पढ़ो। लेकिन अध्ययन जरूरी है। ये आजकल के बच्चों से नहीं हो रहा है। ऐसे में इंटरनेट पर जो आ गया, उसी को सत्य मान लिया जाता है।