संसाधनों और शिक्षकों की कमी से जूझ रहे तमाम सरकारी स्कूलों में सत्र शुरू होने के बाद से विभागीय अधिकारियों के दौरे शुरू हो गए थे। तिमाही परीक्षा के बाद अद्र्धवार्षिक परीक्षा को लेकर खासा उत्साह था और इससे पहली प्रीबोर्ड परीक्षा के परिणामों की तुलना करके बच्चों का स्तर जांचना था कि उनमें कितनी प्रोग्रेस हुई, लेकिन विभाग के अधिकारियों को पहली प्रीबोर्ड परीक्षा परिणामों से निराश होना पड़ा। अद्र्धवार्षिक परीक्षा में 10वीं का परिणाम जिले में 49 और 12वीं का 55 फीसदी रहा था। पहली प्रीबोर्ड परीक्षा परिणाम जो सामने आए उसके अनुसार 10वीं में 51 फीसदी हुआ और 12वीं का परिणाम 55 से बढ़कर 56 फीसदी हुआ।
इस समय विभागीय अधिकारियों का सारा जोर हाईस्कूल और हायर सेकंडरी परीक्षा परिणाम सुधारने पर लगा हुआ है। इसके लिए स्कूलों में विषय विशेषज्ञों को भेजकर अतिरिक्त कक्षाएं भी ली जा रही है। पहली प्रीबोर्ड और अद्र्धवार्षिक परीक्षा के परिणामों में बहुत प्रगति नहीं देखते हुए जिला शिक्षा अधिकारी ने दूसरी प्रीबोर्ड परीक्षा के बाद भी स्कूलों में कक्षाएं लगाने को लेकर सभी प्राचार्यों को ताकिद कर दिया है। इससे परिणामों में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है। ज्ञात हो कि शुरुआत के कुछ महीनों तक पढ़ाई हो ही नहीं पाती है। इस साल सत्र के शुरुआती तीन-चार माह स्थानांतरण और अतिथियों की नियुक्ति में ही निकल गए और पढ़ाई चौपट हो गई थी।
अद्र्धवार्षिक परीक्षा और पहली प्रीबोर्ड परीक्षा के परिणामों की तुलना की गई। उम्मीद थी कि परिणामों में काफी सुधार होगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। हाईस्कूल में मात्र दो फीसदी बढ़ा है जबकि हायर सेकंडरी में एक फीसदी की ही बढ़ोतरी हुई है। 100 फीसदी बच्चों की उपस्थिति के साथ पढ़ाई करवाए और हाईस्कूल तथा हायर सेकंडरी के परिणामों को और बेहतर करे।
– अशोक लोढ़ा, एपीसी राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा मिशन, रतलाम