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संभलना होगा: रतलाम के खेतों की मिट्टी में आर्गनिक कार्बन की कमी

रतलाम. अब भी अगर नहीं संभले तो अंधाधुंध रासायनिक खाद एवं दवाइयों का उपयोग खेतों की मिट्टी के लिए घातक और नुकसादायी साबित होगा, क्योंकि धीरे-धीरे मिट्टी की उर्वरा क्षमता कम हो रही है। इस कारण बंजरता और कठोरपन बढ़ रहा है। पिछले साल की तुलना में इस साल यूरिया रबी सीजन में 7 हजार […]

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Soil Health Card News Ratlam

कृषि भूमि में मुख्यत: आर्गनिक कार्बन की कमी पाई जा रही हैं। आर्गनिक कार्बन की कमी से मृदा की ‘संरचना और बनावट’ खराब हो रही हैं।

रतलाम. अब भी अगर नहीं संभले तो अंधाधुंध रासायनिक खाद एवं दवाइयों का उपयोग खेतों की मिट्टी के लिए घातक और नुकसादायी साबित होगा, क्योंकि धीरे-धीरे मिट्टी की उर्वरा क्षमता कम हो रही है। इस कारण बंजरता और कठोरपन बढ़ रहा है। पिछले साल की तुलना में इस साल यूरिया रबी सीजन में 7 हजार मीट्रिक टन से अधिक बंट चुका हैं। जिले की लैबों में मृदा परीक्षण स्वाईल हेल्थ कार्डों के आंकड़ों की रिपोर्ट में ऑर्गनिक कार्बन की 49 प्रतिशत कमी दर्शा रही हैं। इस कारण मिट्टी की जल धारणा क्षमता में बहुत कमी होती जा रही हैं और इसका फसलों के उत्पादन पर सीधा प्रभाव पड़ रहा हैं।


मृदा की ‘संरचना और बनावट’ खराब हो रही
शहर के कृषि उपज मंडी स्थित गोल बिल्डिंग में संचालित हो रही मृदा परीक्षण लैब के टेक्नीशियन राकेश कुमार पाटीदार के अनुसार वर्तमान समय में पोषक तत्वों कि कमी एवं उससे मृदा-फसलों के उत्पादन क्षमता पर प्रभाव एवं नुकसान होने लगा हैं। कृषि भूमि में मुख्यत: आर्गनिक कार्बन की कमी पाई जा रही हैं। आर्गनिक कार्बन की कमी से मृदा की ‘संरचना और बनावट’ खराब हो रही हैं। यहीं कारण है कि पौधों की जड़ों में पानी और ऑक्सीजन कम पहुंचने से मृदा संरचना कठोर होने लगी हैं, जड़ों का फैलाव कम होकर पोषक तत्व उपलब्ध अवस्था में प्राप्त नहीं हो रहे हैं। पाटीदार ने बताया कि मृदा में दिए जाने वाले उर्वरक जो कि उपलब्ध अवस्था में नहीं होते हैं, उनको उपलब्ध अवस्था में लाने के लिए माइक्रोब्स (सुक्ष्म जीव) ही होते हैं, जो कि आर्गनिक कार्बन नहीं होने से वे मृदा में नहीं पाए जा रहे हैं, क्योंकि माइक्रोब्स का भोजन आर्गनिक कार्बन हैं। किसानों को रासायनिक उर्वरक को कम कर प्राकृतिक खेती ओर लौटना होगा।


कृषि भूमि में फसलों के लिए आवश्यक पोषक तत्व
फसलों के लिए मुख्यत:
12 तत्वों की आवश्यकता होती है। इसमें तीन तत्व प्रकृति से मिलते हैं, जिनको अलग-अलग श्रेणी में रखा गया हैं।
संरचनात्मक तत्व: इसमें तीन तत्व आते हैं, कार्बन, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन।
मुख्य पोषक तत्व: इसमें नाइट्रोजन, फॉस्फोरस एवं पोटास शामिल हैं।
द्वितीय पोषक तत्व: केल्शियम, मैग्निशियम, सल्फर शामिल हैं।
सुक्ष्म पोषक तत्व: बोरान, जिंक, फेरिक, मैग्नीज, कॉपर शामिंल हैं।


ऑर्गेनिक कार्बन स्वास्थ्य-उर्वरता का मुख्य आधार
ऑर्गेनिक कार्बन जो मिट्टी के स्वास्थ्य और उर्वरता का मुख्य आधार हैं। यह सड़ी-गली पत्तियों, फसल के अवशेषों और गोबर जैसे जैविक पदार्थो से बनता हैं, जो पौधों को पोषक देता हैं। मिट्टी की जल धारण क्षमता बढ़ाता हैं और जलवायु परिवर्तन से लडऩे में मदद करता है। जिसे जैविक खाद और फसल अवशेषों के प्रबंधन से बढ़ाया जा सकता हैं।


रतलाम की मिट्टी में पोषक तत्वों की कितनी कमी
जिले की मिट्टी परीक्षण के बाद मृदा में नाइट्रोजन की 64 प्रतिशत कमी हैं। इसी प्रकार ऑर्गनिक कार्बन 49 प्रतिशत, जिंक 54 प्रतिशत, कॉपर 22 प्रतिशत, बोरान 32 प्रतिशत, मैग्नीज 25 प्रतिशत कम पाया जा रहा हैं।

  • 3 लाख हेक्टर क्षेत्र में बोवनी
  • 2 लाख 75 हजार हेक्टर से अधिक गेहूं
  • 22944 मीट्रिक टन से अधिक यूरिया वितरण

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