
दूर-दूर से श्रद्धालुओं की भीड़ धनतेरस पर हर साल यहां पहुंचती है
रतलाम। दिवाली उत्सव की शुरुआत हो चुकी है । शहर के मध्य माणकचौक स्थित महालक्ष्मी मंदिर (mahalaxmi temple in ratlam) पर दीपोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। परम्परानुसार रतलाम रियासत कालीन रत्नपुरी के माणकचौक स्थित महालक्ष्मी के दरबार में बरसों से हो रहे स्वर्ण और नोटों से अद्भुत और अकल्पनीय शृंगार किया जाएगा। इस अद्भुत शृंगार (mahalaxmi temple in ratlam) को देखने के लिए देशभर के लोग यहां पहुंचते हैं। इस बार भी यह नजारा अद्भुत होगा। जिसे देखने हजारों श्रद्धालु महालक्ष्मी मंदिर पहुंच गए हैं। तीन दिवसीय उत्सव के अन्तर्गत शनिवार को धनतेरस के ब्रह्ममुहूर्त में आरती के बाद भक्तों के दर्शनार्थ पट खोल दिए जाएंगे। इसके बाद भक्त दीपावली की रात तक दर्शन कर सकेंगे। दीवाली से पहले लोग यहां (mahalaxmi temple in ratlam) पर पूरी श्रद्धा के साथ नोटों की गड्डियां और आभूषण लेकर आते हैं। उस दौरान इन नोटों की गड्डियां और आभूषण को मंदिर में ही रख लिया जाता है। साथ ही इसकी बकायदा एंट्री भी की जाती है और टोकन भी दे दिया जाता है। भाई दूज के बाद टोकन वापस देने पर इसे वापस भी लिया जा सकता है।
जन-जन की आस्था का केंद्र
महालक्ष्मी (mahalaxmi temple in ratlam) अद्भुत शृंगार से विख्यात महालक्ष्मी का यह रियासत कालीन मंदिर जन- जन की आस्था का केंद्र है। संजय पुजारी ने बताया कि महालक्ष्मी (mahalaxmi temple in ratlam) गजराज पर विराजमान होकर हाथ में धन की पोटली लिए हुए हैं। इनके साथ श्रीगणेश और मां शारदा भी विराजमान हैं। परिसर में अष्ट महालक्ष्मी (mahalaxmi temple in ratlam) विराजमान है। इनके दर्शन वंदन कर महालक्ष्मी के लिए शृंगार सामग्री अर्पण की है। अष्ट महालक्ष्मी पर आकर्षक पोषक और चांदी के मुकुट के साथ टॉप्स शोभायमान हो रहे हैं । आज सुबह से ही मंदिर पर श्रद्धालुओ का तांता लग रहा आज भी भक्त माता को अर्पित करने अपनी राशि लेकर यहां पहुच रहे है। आपको बता दें कि दीवाली से पहले लोग यहां पर पूरी श्रद्धा के साथ नोटों की गड्डियां और आभूषण लेकर आते हैं। उस दौरान इन नोटों की गड्डियां और आभूषण को मंदिर (mahalaxmi temple in ratlam) में ही रख लिया जाता है। साथ ही इसकी बकायदा एंट्री भी की जाती है और टोकन भी दे दिया जाता है। भाई दूज के बाद टोकन वापस देने पर इसे वापस भी लिया जा सकता है।
प्रसाद में मिलते हैं आभूषण
दीवाली में बाद जो भी भक्त इस मंदिर (mahalaxmi temple in ratlam) में दर्शन के लिए जाता है उसे प्रसाद के रुप में आभूषण दिए जाते हैं। साथ ही नकदी भी दी जाती है। इस प्रसाद को लेने के लिए भक्त दूर-दूर से यहां पर आते हैं। भक्तों का कहना हा कि वे इस प्रसाद को शगुन मानकर कभी भी खर्च नहीं करते हैं बल्कि संभालकर रखते हैं।
कहीं नहीं है ऐसा मंदिर
कहा जाता है कि पूरे भारत देश में ऐसा कोई भी मंदिर (mahalaxmi temple in ratlam) नहीं है जहां पर सोने-चांदी के आभूषणों, हीरों-जवाहरातों व नकद राशि से महालक्ष्मीजी का श्रृंगार किया जाता है। इस मंदिर (mahalaxmi temple in ratlam) की खासियत ये है कि आज तक भक्तों के द्वारा लाए गए लाखों के आभूषण इधर से उधर नहीं हुए हैं। एक समय के बाद भक्तों को ये वापस कर दिए जाते हैं।
Updated on:
22 Oct 2022 12:28 pm
Published on:
22 Oct 2022 12:27 pm
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