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Independence Day 2021: जानें देश की कुंडली से जुड़ा ये बड़ा राज, आखिर रात में क्यों ली थी हम हिंदुस्तानियों ने आजादी

Independence Day 2021: हिंदू पंचांग के अनुसार नहीं बदला था दिन

भोपालAug 14, 2021 / 01:15 pm

दीपेश तिवारी

Independence Day 2021

Independence Day 2021- आजाद भारत की रात 12 बजे बनी कुंडली

Independence Day 2021: इस साल देश का 75वां स्‍वतंत्रता दिवस रविवार 15 अगस्त को मनाया जाएगा। 15 अगस्‍त 1947 को हमें आजादी मिली थी ये तो हर कोई जानता है, लेकिन कम ही लोगों को पता है कि इस आजादी को आधी रात के समय मिलने के पीछे भी ज्योतिष से जुड़ी एक रोचक कहानी है।

दरअसल कहा जाता है कि लार्ड माउंटबेटन ने 3 जून के दिन 15 अगस्‍त 1947 को स्‍वतंत्रता के लिए तय किया, इसके बारे में जानकर देश भर के ज्‍योतिषियों में आक्रोश पैदा हो गया क्‍योंकि 15 अगस्‍त 1947 का दिन ज्‍योतिषीय गणना के अनुसार अशुभ और अमंगलकारी दिख रहा था।

75th independence day 2021

ऐसे में दूसरी तिथियां भी सुझाईं गईं लेकिन माउंटबेटन 15 अगस्‍त की तारीख से हटने को तैयार नहीं हुए, क्‍योंकि वह इस तारीख को बेहद खास मानते थे।

जिसके बाद ज्योतिष के जानकारों ने 14 और 15 अगस्‍त की मध्‍यरात्रि का समय सुझाया और इसमें अंग्रेजी समय का ही हवाला दिया जिसके अनुसार रात 12 बजे बाद नया दिन शुरू होता है। जबकि हिंदू पंचांग के अनुसार नए दिन का आरंभ सूर्योदय के साथ होता है।

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इसके अलावा ज्‍योतिष यह भी चाहते थे कि सत्‍ता के परिवर्तन का संभाषण 48 मिनट की अवधि में संपन्‍न किया जाए, जो कि अभिजीत मुहूर्त में आता है। यह मुहूर्त 11 बजकर 51 मिनट से आरंभ होकर 12 बजकर 15 मिनट तक पूरे 24 मिनट तक की अवधि का था।

इसके अलावा एक बाधा ये भी थी कि भाषण को 12 बजने तक पूरा हो जाना था, ताकि स्‍वतंत्र राष्‍ट्र के उदय पर शंख बजाया जा सके। जिसे भी बाद में हल कर लिया गया।

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भारत और पाकिस्तान की कुंडली में अंतर का असर

ज्योतिष के वर्तमान जानकारों के अनुसार स्थिर लग्न के चलते भारत में लोकतंत्र स्थिर है,वहीं एक दिन पहले आजाद हुए पाकिस्तान का लग्न और राशि दोनों में भारत से अंतर रहा, जिसके चलते पाकिस्तान की कुंडली में अशुभ और अस्थिरता का संयोग बना यही कारण है पाकिस्तान का कोई भी पीएम आज तक अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया।

आजाद भारत की कुंडली
स्वतंत्र भारत की जन्म कुंडली में वृषभ लगन में राहु की मौजूदगी के बीच सबसे विशेष व दुर्लभ योग की बात करें तो कुंडली का तृतीय भाव में कर्क राशि में सूर्य, चंद्र, शनि, बुध, शुक्र ये पांच ग्रह बैठकर पंचग्रही योग बना रहे हैं। यह पराक्रम व शक्ति का भाव है भारत की कुंडली का तीसरा भाव बहुत बलवान है। वहीं रोग व शत्रु भाव में तुला राशि में गुरु विराजमान है। जबकि सप्तम भाव में वृश्चिक राशि में केतु बैठे है। जबकि धन भाव में मिथुन राशि में मंगल विराजमान है।

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