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budhwar pradosh vrat katha: बुध प्रदोष व्रत की कथा, जिसे पूजा के बाद पढ़ना जरूरी

हर व्रत से संबंधित कुछ कथाएं हैं, जो हमें सीख देती हैं, साथ ही ईश्वर की महिमा को लेकर चित्त भी एकाग्र करती हैं। इसलिए पूजा के बाद इन कथाओं को पढ़ना सुनना चाहिए। आइये जानते हैं बुध प्रदोष की कथा क्या है।

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Shailendra Tiwari

Dec 20, 2022

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बुध प्रदोष व्रत कथा

भोपाल. 21 दिसंबर बुधवार को प्रदोष व्रत है, तमाम भक्त उपवास रखकर भगवान शंकर की पूजा अर्चना करेंगे। इस व्रत से व्यक्ति सुखी और संतोषी बनता है। वार के अनुसार किए जा रहे प्रदोष व्रत का फल भी इसी अनुरूप मिलता है। त्रयोदशी के दिन शिव की पूजा अर्चना से 100 गायों के दान के बराबर फल की प्राप्ति होती है। इस पूजा में प्रदोष यानी त्रयोदशी व्रत कथा भी पढ़नी, सुननी जरूरी है। इसलिए आइये आपको बताते हैं पौराणिक कथा।


कथा के अनुसार प्राचीन समय की बात है, एक व्यक्ति की शादी हुई। इसके दो दिन बाद ही उसकी पत्नी मायके चली गई। काफी समय बीत गया तो व्यक्ति ससुराल पहुंचा और बुध प्रदोष के दिन विदाई की बात कहने लगा। ससुराल वालों ने उसे समझाया कि विदाई के लिए यह दिन ठीक नहीं है, लेकिन शख्स राजी नहीं हुआ और अपनी पत्नी को विदा कराकर घर की ओर लौटने लगा।


अभी दंपती नगर के बाहर पहुंचा था कि उसकी पत्नी को प्यास लग गई। इस पर व्यक्ति पत्नी को एक पेड़ के नीचे बिठाकर पानी लेने चला गया। लौटा तो देखा कि उसकी पत्नी किसी के साथ बैठी है और एक लोटे से पानी पी रही है। साथ ही पास बैठे शख्स से हंस-हंसकर बात कर रही है। इस पर उसे क्रोध आ गया।


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व्यक्ति नजदीक पहुंचा तो देखा उसकी पत्नी जिस शख्स से बात कर रही है, उसकी शक्ल उसके जैसी ही थी। इस पर उसकी पत्नी सोच में पड़ गई और दोनों पुरुष झगड़ने लगे। इसे देखकर वहां भीड़ लग गई। सभी लोग हैरान थे, व्यक्ति ने अपनी पत्नी से इस संबंध में पूछा तो वह भी जवाब नहीं दे पाई।


इस पर उसने भगवान शंकर से प्रार्थना की कि हे भगवान हमारी रक्षा करो, हमसे भूल हो गई, सास ससुर की बात नहीं मानी। बुधवार को विदा करा लाया, आगे से ऐसा नहीं करूंगा। जैसे ही व्यक्ति की प्रार्थना पूरी हुई, दूसरा व्यक्ति अंतर्धान हो गया। बाद में दंपती नियमित बुध प्रदोष व्रत रखने लगे।


बुध प्रदोष व्रतः 21 दिसंबर 2022 बुधवार को सायंकाल होने वाली भगवान शंकर की पूजा इस बार और खास हो गई है। क्योंकि ये पार्वती नंदन गणेश की पूजा का भी दिन है। इससे भगवान शिव और माता पार्वती तो प्रसन्न होते ही हैं। बुध प्रदोष व्रत से भगवान गणेश की भी कृपा प्राप्त होती है।


पंचांग के अनुसार त्रयोदशी तिथि 20 दिसंबर को रात 12 बजे के बाद यानी अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 21 दिसंबर को लग रही है। यह तिथि रात 12 बजकर 45 मिनट से शुरू होकर बुधवार रात 10 बजकर 16 मिनट पर संपन्न होगी। पंचांग के अनुसार 21 दिसंबर 2022 को बुध प्रदोष पूजा का मुहूर्त शाम 5 बजकर 28 मिनट से रात 8 बजकर 12 मिनट तक रहेगा।