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Chaitra Navratri 2023: नवरात्रि पर करें कलश स्थापना, यहां जानें मुहूर्त और खास नियम

Chaitra Navratri 2023 बुधवार 22 मार्च से शुरू हो रही है, इस दिन वासंतिक नवरात्रि पर कलश स्थापना (Kalash Sthapana on Navratri) के बाद नौ दिन तक भक्त जगदंबा की पूजा अर्चना में रमेंगे। लेकिन धार्मिक ग्रंथों में कलश स्थापना के नियम (Kalash Sthapana Niyam)बताए गए हैं, जिनका ध्यान न रखने पर आप जगदंबा की कृपा से वंचित हो सकते हैं। ऐसे में यहां जानें नवरात्रि कलश स्थापना मुहूर्त और सही नियम।

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Pravin Pandey

Mar 21, 2023

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Kalash Sthapana Niyam

चैत्र नवरात्रि 2023: ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार नवरात्रि में किसी तिथि का क्षय नहीं है, इससे साल संपूर्ण नौ दिन की नवरात्रि है। नवरात्रि के दौरान तीन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं, पहला 23 मार्च, दूसरा 27 मार्च और तीसरा 30 मार्च को, जबकि अमृत सिद्धि योग 27 और 30 मार्च को बनेंगे। इसके अलावा 24, 26 और 29 मार्च को रवि योग बन रहा है। वहीं राम नवमी के दिन गुरु पुष्य योग भी बन रहा है।

कलश स्थापना का मुहूर्तः प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पं. अरविंद तिवारी के अनुसार 22 मार्च को शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन दुर्गा पूजा कलश स्थापना और पूजा का मुहूर्त इस प्रकार है।


कलश स्थापना मुहूर्त: सुबह 6:30 बजे से सुबह 7:30 बजे तक (द्विस्वभाव मीन लग्न के दौरान)


पूजा का समयः सुबह 7:50 से 9:26 बजे तक
सुबह 10:57 से 12:27 बजे तक
दोपहर 3:30 से 4:50 बजे तक
प्रदोष काल पूजा समय शाम 5:00 बजे से शाम 6:30 बजे तक

प्रतिपदा तिथि का प्रारंभः दृक पंचांग के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 21 मार्च 10.52 पीएम से हो रही है।
प्रतिपदा तिथि का समापनः 22 मार्च 8.20 पीएम
मीन लग्न का प्रारंभः 22 मार्च 6.23 एएम
मीन लग्न का समापनः 22 मार्च 7.36 एएम

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कलश स्थापना के नियम


दिशा का रखें ध्यानः पं. अरविंद तिवारी के अनुसार चैत्र नवरात्रि की पूजा के लिए स्थापित किए जाने वाले कलश की दिशा का ध्यान रखना जरूरी है। ईशान कोण (उत्तर पूर्व दिशा) देवताओं की दिशा मानी जाती है। इसलिए कलश भी इसी दिशा में रखना चाहिए, क्योंकि कलश में भगवान विष्णु का वास माना जाता है।


कलश ढंका रहेः कलश का मुंह खुला नहीं रखना चाहिए, उसमें जल भरने के बाद यथोचित स्थान पर रखने के बाद उसमें आम के पत्ते डाल दें, उसके ऊपर मिट्टी का ढक्कन लगा दें जिसको अक्षत (चावल) से भर दें और उस पर जटा वाला नारियल कलावा लपेटकर रख दें।


कलश स्थापना से पहले यह काम जरूरीः कलश स्थापना से पहले मां जगदंबा के सामने अखंड ज्योति जलाना चाहिए। इसे आग्नेय कोण (पूर्व-दक्षिण दिशा) में रखना चाहिए। कलश स्थापना के वक्त भक्त का मुंह पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए।


साफ-सफाई का रखें ध्यानः जहां कलश स्थापना की जानी है यानी माता की चौकी जहां रहेगी वहां साफ-सफाई का विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। उस जगह को गंगाजल से स्वच्छ कर लेना चाहिए। अगर कलश स्थापना चंदन की लकड़ी पर कर पाएं तो ज्यादा लाभदायक होगा।


यहां न करें स्थापनाः किचन या बाथरूम के पास कलश स्थापना नहीं की जानी चाहिए और आसपास कोई अलमारी है तो उसे भी स्वच्छ रखना चाहिए।

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कलश स्थापना विधि
1. कलश स्थापना से पहले सुबह से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें और व्रत का संकल्प लें।
2. पूजा स्थल को सजाएं, गंगा जल से स्वच्छ करें, यहां लकड़ी की छोटी चौकी रखें और इस पर लाल कपड़ा बिछाकर माता की प्रतिमा रख दें।


3. लाल कपड़े पर ही थोड़े से चावल रख दें, इस पर एक मिट्टी का पात्र रखें और उसमें स्वच्छ मिट्टी डालकर जौ बो दें
4. इसके बाद इस पर मिट्टी या धातु का कलश जल से भरकर रख दें।
5. कलश पर स्वास्तिक बनाकर कलावा लपेट दें।


6. कलश में साबुत सुपारी, सिक्का अक्षत डालकर आम या अशोक के पत्ते डाल दें।
7. एक नारियल को लाल चुनरी में लपेटकर कलावा से बांधें और कलश पर रख दें।
8. इसके बाद मां दुर्गा का आवाहन करें और धूप, दीप, जलाकर पूजा करें।
9. सभी देवताओं को भी आमंत्रित करें।