सचमुच ध्यान के कुशल शिल्पी के लिए विवेक का होना नितांत आवश्यक है। बिना विवेक के कुशल ध्यानी भी अपने साथ न्याय नहीं कर सकता है। ध्यान से उपजी चेतना, ऊर्जा का उपयोग किस प्रकार हो यह जानना आवश्यक है, जिस पर चलकर व्यक्ति ध्यान के माध्यम से साधना के साथ साथ जीवन के परम आनंद की अनुभूति भी कर सकता है। ध्यान जीवन साधना का वह पथ है जिस पर चलकर व्यक्ति अपने मन की संत्रांस, भय, घुटन व तनाव से मुक्ति पा सकता है।