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विचार मंथन : नर और नारी दोनों ही भगवान की दायीं-बायीं आंख और भुजा है- भगवती देवी शर्मा

daily thought vichar manthan: नर और नारी दोनों ही भगवान की दायीं-बायीं आंख और भुजा है- भगवती देवी शर्मा

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भोपाल

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Shyam Kishor

Jul 24, 2019

daily thought vichar manthan bhagwati devi sharma

विचार मंथन : नर और नारी दोनों ही भगवान की दायीं-बायीं आंख और भुजा है- भगवती देवी शर्मा

नर और नारी भगवान की सुंदर कृति है

नर और नारी दोनों ही भगवान की दायीं-बायीं आंख, दायीं बायीं भुजा के समान हैं। उनका स्तर, मूल्य, उपयोग, कर्त्तव्यत, अधिकार पूर्णत: समान है। फिर भी उनमें भावनात्मक दृष्टि से कुछ भौतिक विशेषताएं हैं। नर की प्रकृति में परिश्रम, उपार्जन, संघर्ष, कठोरता जैसे गुणों की विशेषता है वह बुद्धि और कर्म प्रधान है। नारी में कला, लज्जा, शालीनता, स्नेह, ममता जैसे सद्गुण हैं वह भाव और सृजन प्रधान है। यह दोनों ही गुण अपने-अपने स्थान पर महत्त्वपूर्ण है। उनका समन्वय ही एक पूर्ण व्यक्तित्व का निर्माण करता है।

विचार मंथन : कमजोर ना बनें, शक्तिशाली बनें और यह विश्वास रखें की भगवान हमेशा आपके साथ है- बाल गंगाधर लोकमान्य तिलक

पुरुषों से नारी पीछे क्यूं रहे?

सामयिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए नर और नारी की इन विशेषताओं का उपयोग किया जाता है। युद्ध कौशल में पुरुष की प्रकृति ही उपयुक्त थी सो उसे आगे रहना पड़ा। जो वर्ग आगे रहता है, नेतृत्व भी उसी के हाथ में आ जाता है। जो वर्ग पीछे रहते हैं उन्हें अनुगमन करना पड़ता हैं। परिस्थितियों ने नर-नारी के समान स्तर को छोटा-बड़ा कर दिया, पुरुष को प्रभुता मिली - नारी उसकी अनुचरी बन गई। जहां प्रेम सद्भाव की स्थिति थी वहां वह उस आधार पर हुआ और जहां दबाव और विवश्सता की स्थिति थी वहां दमन पूर्वक किया गया। दोनों ही परिस्थितियों में पुरुष आगे रहा और नारी पीछे।

मौत तो मेरी महबूबा है, मैं जब चाहूंगा गले लगा लूंगा- चन्द्रशेखर आजाद

नये युग के लिये हमें नई नारी का सृजन करना होगा

नये युग के लिये हमें नई नारी का सृजन करना होगा, जो विश्व के भावनात्मक क्षेत्र को अपने मजबूत हाथों में सम्भायल सके और अपनी स्वाभाविक महत्ता का लाभ समस्त संसार को देकर नारकीय दावानल में जलने वाले कोटि-कोटि नर-पशुओं को नर-नारायण के रूप में परिणत करना सम्भव करके दिखा सकें। नारी के उत्कर्ष - वर्चस्व को बढ़ाकर उसे नेतृत्व का उत्तरदायित्व जैसे-जैसे सौंपा जायेगा वैसे-वैसे विश्व शान्ति की घड़ी निकट आती जायेगी।

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