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विचार मंथन : बेईमानी, अनुपयुक्त रूप से अर्जित किए धन या लाभ स्थिर ना होकर उसका अंत बहुत दुःखदायी होता है- आचार्य श्रीराम शर्मा

Daily Thought Vichar Manthan : बेईमानी, अनुपयुक्त रूप से अर्जित किए, धन या लाभ स्थिर ना होकर उसका अंत बहुत दुःखदायी होता है-

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भोपाल

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Shyam Kishor

Oct 12, 2019

विचार मंथन : बेईमानी, अनुपयुक्त रूप से अर्जित किए, धन या लाभ स्थिर ना होकर उसका अंत बहुत दुःखदायी होता है- आचार्य श्रीराम शर्मा

विचार मंथन : बेईमानी, अनुपयुक्त रूप से अर्जित किए, धन या लाभ स्थिर ना होकर उसका अंत बहुत दुःखदायी होता है- आचार्य श्रीराम शर्मा

बेईमानी से लाभ - बस एक भ्रम

बेईमानी की गरिमा स्वीकारने तथा आदर्श के रूप में अपनाने वाले वस्तुतः वस्तुस्थिति का बारीकी से विश्लेषण नहीं कर पाते। वे बुद्धि भ्रम से ग्रसित हैं। सच तो यह है, बेईमानी से धन कमाया ही नहीं जा सकता। इस आड़ में कमा भी लिया जाए तो वह स्थिर नहीं रह सकता। लोग जिन गुणों से कमाते हैं, वे दूसरे ही है। साहस, सूझ-बूझ, मधुर भाषण, व्यवस्था, व्यवहारकुशलता आदि वे गुण हैं जो उपार्जन का कारण बनते हैं।

विचार मंथन : जा बेटा अब तेरे घर के भंडार सदा भरे रहेंगे। तू क्या तेरे घर पे जो आएगा वह भी खाली हाथ नहीं जाएगा- गुरु अंगद देव जी

बेईमानी से अनुपयुक्त रूप से अर्जित किए गए लाभ का परिणाम स्थिर नहीं और अंततः दुःखदायी ही सिद्ध होता है। ऐसे व्यक्ति यदि किसी प्रकार राजदंड से बच भी जाएँ तो भी उन्हें अपयश, अविश्वास, घृणा, असहयोग जैसे सामाजिक और आत्मप्रताड़ना तथा आत्मग्लानि जैसे आत्मिक कोप का भाजन अंततः बनना पड़ता है। बेईमानी से भी कमाई तभी होती है जब उस पर ईमानदारी का आवरण चढ़ा हो। किसी को ठगा तभी जा सकता है जब उसे अपनी प्रामाणिकता एवं विश्वसनीयता पर आश्वस्त कर दिया जाए। यदि किसी को यह संदेह हो जाए कि हमें ठगने का ताना बाना बुना जा रहा है तो वह उस जाल में नहीं फंसेगा तथा दूसरे को अपनी धूर्तता का लाभ नहीं मिल सकेगा।

विचार मंथन : जो लोग अनीति युक्त अन्न ग्रहण करते हैं उनकी बुद्धि असुरता की ओर ही प्रवृत्त होती है- गुरु गोविन्दसिंह

वास्तवकिता प्रकट होने पर तो बेईमानी करने वाला न केवल उस समय के लिए वरन् सदा के लिए लोगों का अपने प्रति विश्वास खो बैठता है और लाभ कमाने के स्थान पर उल्टा घाटा उठाता है। रिश्वत लेते, मिलावट करते, धोखाधड़ी बरतते, सरकारी टैक्स हड़पते, काला बाजारी करते पकड़े जाने वाले सरकारी दंड पाते तथा समाज में अपनी प्रतिष्ठा गँवाते आए दिन देखे जाते हैं। उनकी असलियत प्रकट होते ही हर व्यक्ति घृणा करने लगता है।

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