स्वामी विवेकानंद के जीवन का प्रेरक प्रसंग : सत्य का साथ कभी न छोड़े
गीता का अध्ययन करने पर मैं इसी नियम को गीता के तीसरे अध्याय में यज्ञ के रूप में देखता हूं। यज्ञ से बचा हुआ वही है, जो मेहनत करने के बाद मिलता है। अजीविका के लिए पर्याप्त श्रम को गीता ने यज्ञ कहा है। मानवी चिन्तन, चरित्र और लोक परम्पराओं में घुसी हुई भ्रान्तियों एवं अवांछनीयताओं को विज्ञान और अध्यात्म का, सम्पदा और उत्कृष्टता का शक्ति और शालीनता का, बुद्धि और नीति निष्ठा का, समन्वय अपने युग का सबसे बड़ा चमत्कार समझा जायेगा। विज्ञान क्षेत्र पर छाई हुई मनीषा को यह युगधर्म निभाना ही चाहिए।
संकटों से डर कर भागे नहीं, उनका सामना करें : रवींद्रनाथ टैगोर
अच्छे- बुरे वातावरण से अच्छी -बुरी परिस्थितियाँ जन्म लेती हैं और वातावरण का निर्माण पूरी तरह मनुष्य के हाथ में है, वह चाहे उसे स्वच्छ, स्वस्थ और सुन्दर बनाकर स्वर्गीय परिस्थितियों का आनन्द ले अथवा उसे विषाक्त बनाकर स्वयं अपना दम तोड़े। सादगी एक ऐसा नियम है जिसके सहारे हम अपने वैयक्तिक तथा सामाजिक जीवन की बहुत- सी समस्याओं सहज ही हल कर सकते हैं। सादगी जहां व्यक्तिगत जीवन में लाभकारी होती है, वहां सामाजिक जीवन में भी संघर्ष, रहन- सहन की असमानता कृत्रिम अभाव, महंगाई आदि को दूर करके वास्तविक समाजवाद की रचना करती है। इसलिए जीवन को सादा बनाइए, इससे आपका और समाज का बहुत बड़ा हित साधन होगा।
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