यहां तक की ये भी माना जाता है कि व्यक्ति के कर्म तक शनि देव अपनी दृष्टि से सुधार या बिगड़ देते हैं। कुंडली में 12 ही भाव होते हैं ऐसे में शनिदेव किसी की भी कुंडली में प्रथम से लेकर द्वादश तक के भाव में से किसी भी भाव में विराजमान हो सकते हैं।
ऐसे में आज हम आपको बता रहे हैं कि आखिर शनि कुंडली के जब किस घर में बुरा प्रभाव छोड़ते हैं, तो इन दुष्प्रभावों से बचने के लिए हमें क्या करना चाहिए। किसी भी स्थान पर बैठे शनिदेव के इन प्रभावों में अंतर तब जरूर देखने को जरूर मिलता है जब वे किसी दूसरे ग्रह के साथ बैठे हों या किसी दूसरे ग्रह की दृष्टि से युक्त हों या वे जिस जगह बैठे हो वह उनके मित्र या शत्रु का घर हो। शनिदेव के बुरे प्रभावों से बचने के उपाय…
तो आइये जानते हैं शनि और उनके प्रभाव और क्या करें व क्या न करें…
: कुंडली में प्रथम भाव यानि लग्न स्थित शनि अशुभ फल देता है। ऐसे में जातक को बंदरों की सेवा करनी चाहिए। चीनी मिला हुआ दूध बरगद के पेड़ की जड़ में डालकर गीली मिट्टी से तिलक करना चाहिए। झूठ नहीं बोलना चाहिए। दूसरों की वस्तुओं पर बुरी दृष्टि नहीं डालनी चाहिए।
: शनि दूसरे घर में अशुभ फल दे रहा हो तो जातक को अपने माथे पर दूध या दही का तिलक लगाना चाहिए और सांपों को दूध पिलाना चाहिए।
: शनि तीसरे भाव में शनि के दुष्प्रभाव से बचने के लिए जातक को मांस, मदिरा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसे में जातक को तिल, नींबू एवं केले का दान करना चाहिए। घर में काला कुत्तों को पालें एवं उसकी सेवा करें।
: शनि चौथे घर में अशुभ फल दे रहा हो तो जातक को कूंए में दूध डालना चाहिए। बहते हुए पानी में शराब डालनी चाहिए, हरे रंग की वस्तुओं से परहेज नहीं रखना चाहिए। मजदूरों की सहायता करें व भैंस एवं कौओं को भोजन दें। जातक को अपने नाम पर भवन निर्माण नहीं करना चाहिए।
: पांचवे भाव में शनि अशुभ फल दे रहा हो तो जातक को अपने पास सोना एवं केसर रखना चाहिए। जातक को 48 साल से पहले अपने लिए मकान नहीं बनाना चाहिए। दांतों को साफ रखना चाहिए। लोहे का छल्ला पहनने से व साबुत हरी मूंग मंदिर में दान करने से शनि की पीड़ा कम होगी।
: छठे भाव से शनि अशुभ फल दे रहा हो तो जातक को चमड़े एवं लोहे की वस्तुएं खरीदनी चाहिए। इस भाव में जातक को 39 साल की उम्र के बाद ही मकान बनाना चाहिए।
: सप्तम भाव से शनि अशुभ फल दे रहा हो तो जातक को शहद से भरा हुआ बर्तन कहीं सुनसान जगह में दबाना चाहिए। बांसुरी में चीनी भरकर कहीं सुनसान जगह में दबाएं। इस भाव में शनि हो तो जातक को बना बनाया मकान खरीदना चाहिए।
: आठवें घर में शनि को अपने पास चांदी का टुकड़ा रखना चाहिए। सांपों को दूध पिलाना चाहिए व जीवन में कभी भवन का निर्माण नहीं कराना चाहिए।
: नौवें घर का शनि अशुभ फल दे रहा हो तो छत पर कबाड़, लकड़ी आदि नहीं रखनी चाहिए, जो बरसात आने पर भीगती हो। चांदी के चौरस टुकड़े पर हल्दी का तिलक लगाकर उसे अपने पास रखना चाहिए। पीपल के पेड़ को जल देने के साथ-साथ गुरुवार का व्रत भी करना चाहिए। अगर इस भाव में शनि हो तो जातक की पत्नी गर्भवती हो तो भूलकर भी मकान न बनवाएं। बच्चा होने के बाद बनवा सकते हैं।
: दसवें भाव में शनि हो तो मांस, मदिरा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। चने की दाल तथा केले मंदिर में चढ़ाने चाहिए।
: ग्यारहवें भाव में शनि अशुभ फल दे रहा हो तो जातक को घर में चांदी की ईंट रखनी चाहिए। उसे मांस, मदिरा आदि सेवन एवं दक्षिणामुखी मकान में वास नहीं करना चाहिए। 55 साल की उम्र के बाद ही मकान बनाना शुभ रहेगा।
: बारहवें भाव में शनि अशुभ फल दे रहा हो तो कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए। मांस, मदिरा, अंडे का सेवन नहीं करना चाहिए। लाल किताब की इन बातों पर अमल कर शनि से प्राप्त परेशानियों को हम समाप्त कर सकते हैं।