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इसी स्थान पर गुरु द्रोणाचार्य को गुरु दक्षिणा में मिला था एकलव्य का अंगूठा

प्रचलित कहानियों के अनुसार गुरु द्रोणाचार्य ने एक दिन भील बालक एकलव्य को धर्नुविद्या का अभ्यास करते देखा

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Sunil Sharma

Apr 14, 2016

guru dronacharya, Eklavya, Arjun

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गुड़गांव को गुरुग्राम करने से भले ही हरियाणा का छोटा सा लेकिन देश का महत्वपूर्ण शहर गुड़गांव दुनिया की नजरों में आ गया हो परन्तु आज भी इसके इतिहास से लोग नावाकिफ हैं। कहा जाता है कि इस जगह का महाभारत से प्रगाढ़ संबंध है। प्रचलित किंवदंतियों के अनुसार इसी स्थान पर गुरु द्रोणाचार्य ने एकलव्य से उसका अंगूठा मांगा था ताकि वो अर्जुन को विश्व का सर्वश्रेष्ठ धर्नुधर बना सकें।

यह है गुड़गांव से गुरुग्राम बने शहर का इतिहास
अगर देश की राजधानी दिल्ली का सीधा संबंध कौरव और पांडवों की राजधानी इन्द्रप्रस्थ तथा हस्तिनापुर से है तो गुड़गांव का संबंध गुरुग्राम और गुरु द्रोणाचार्य से है। कहा जाता है कि यही पर गुरु द्रोण ने कौरव और पांडव राजकुमारों को शस्त्र विद्या सिखाई थी। यहां उनका आश्रम था जिसमें राजकुमारों को शिक्षित किया जाता था। इसी जगह पर उनके आदेश पर अर्जुन ने चिड़िया की आंख पर निशाना लगाया था।

आज भी होती है एकलव्य की पूजा
प्रचलित कहानियों के अनुसार एक दिन उन्होंने भील बालक एकलव्य को धर्नुविद्या का अभ्यास करते देखा। उन्होंने एकलव्य का राजकुमार नहीं होने के कारण धर्नुविद्या सिखाने से मना कर दिया था जिस पर एकलव्य ने उनकी मूर्ति बनाई और उसी को गुरु मानकर अभ्यास करने लगा। एकलव्य के अभ्यास को देखकर गुरु द्रोण को आभास हुआ कि एकलव्य के रहते अर्जुन कभी भी विश्व का सर्वश्रेष्ठ धर्नुधर नहीं बन पाएगा। अतः उन्होंने एकलव्य से गुरु दक्षिणा में उसके दाएं हाथ का अंगूठा मांग लिया।

बना हाईटेक सिटी
इस स्थान पर आज भी एकलव्य का मंदिर बना हुआ है जहां मध्यप्रदेश और राजस्थान के भील जाति के लोग पूजा करने आते हैं। कभी उपेक्षित रहा गुड़गांव मारूति का प्लांट लगने के बाद अन्तरराष्ट्रीय चर्चा में आया। इसके बाद ही गुड़गांव विकसित शहरों की श्रेणी में आने लगा। आज यहां पर सैंकड़ों एमएनसीज और इंडस्ट्रीज के ऑफिस हैं, कॉलेज हैं। आज गुड़गांव की पहचान हाईटेक सिटी के रूप में होती है।

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