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Janmashtami Vrat Exat Date: भगवान कृष्ण के जन्म के समय जैसा बना दुर्लभ संयोग, शंकराचार्य ने बताया गृहस्थ कब मनाएं जन्माष्टमी

पिछले काफी समय से हर त्योहार की डेट पर असमंजस की स्थिति बन रही है, रक्षाबंधन के बाद श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की तिथि भी इससे अलग नहीं है। जन्माष्टमी 6 को मनाएं या 7 सितम्बर को इसको लेकर लोग असमंजस में हैं तो आइये पुरोहितों और शंकराचार्य से जानते हैं क्या है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की सही तारीख और शुभ मुहूर्त..

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Pravin Pandey

Sep 05, 2023

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जन्माष्टमी 2023

भोपाल के पंडितों का कहना है कि इस बार अधिकांश तिथियां दोपहर में आकर अगले दिन सूर्योदय तक विद्यमान रह रही है,इसके कारण लोगों में भ्रम बना हुआ है। इनमें से कुछ का कहना है कि आने वाले पर्व में 7 सितम्बर को जन्माष्टमी और 19 सितम्बर को गणेश चतुर्थी मनाना श्रेष्ठ होगा। दूसरी ओर शहर के कुछ पंडितों का कहना है कि जन्माष्टमी का पर्व गृहस्थों को 6 को और सन्यासियों को 7 सितम्बर को मनाना चाहिए।

तिथि के मान और काल के आधार पर मनाते हैं पर्व
पं. विष्णु राजौरिया का कहना है कि हमारे यहां तिथि के मान और काल के आधार पर पर्वों को मनाने की परम्परा है। इस बार अष्टमी तिथि 6 सितम्बर को शाम 7 बजकर 42 मिनट पर आएगी जो अगले दिन रात्रि 7 बजकर 26 मिनट तक रहेगी। इसी प्रकार रोहिणी नक्षत्र 6 को दोपहर 2 बजकर 22 मिनट पर आएगा और 7 को 2 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। ऐसे में गृहस्थों को 6 सितम्बर को जन्माष्टमी पर्व मनाना चाहिए, इसी प्रकार सन्यासी, आश्रम, मंदिरों में 7 को उदयातिथि के हिसाब से उत्सव मनाना चाहिए।


अलग-अलग दिन जन्माष्टमी
भोपाल के लालघाटी स्थित गुफा मंदिर के महंत पं. रामप्रवेशदास महाराज का कहना है कि मंदिर में जन्माष्टमी का पर्व 6 सितम्बर को मनाया जाएगा। तिथि नक्षत्र के आधार पर 6 को ही मंदिर में कृष्ण जन्म का आयोजन किया जाएगा। वहीं बांके बिहारी मार्कंडेय मंदिर, श्रीजी मंदिर लखेरापुरा, श्रीकृष्ण प्रणामी मंदिर शिवाजी नगर, बिड़ला मंदिर सहित अन्य मंदिरों में जन्माष्टमी का पर्व 7 को ही मनाया जाएगा। बांके बिहारी मंदिर शहर के मंदिर के पं. रामनारायण आचार्य ने बताया कि मंदिर में उदया तिथि के हिसाब से 7 सितम्बर को जन्माष्टमी पर्व मनाया जाएगा।

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मथुरा में कब मनेगी जन्माष्टमी
ब्रज के लोग श्रीकृष्ण जन्म स्थान के आधार पर ही जन्माष्टमी मनाते हैं। यहां सात सितंबर को जन्माष्टमी मनाई जाएगी। वैष्णव संप्रदाय के प्रमुख मंदिरों में से एक द्वारिकाधीश मंदिर और ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में भी इसी दिन जन्माष्टमी मनाई जाएगी।


क्या कहते हैं शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती
इधर, ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का कहना है कि जन्माष्टमी भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी मध्यकाल रोहिणी नक्षत्र को मनाई जाती है। इस संबंध में दो परंपराएं हैं स्मार्त (सनातन धर्मी जो स्मृतियों के आधार पर जीवन चलाते हैं, सारे सनातनी स्मार्त हैं, सामान्य गृहस्थ) और वैष्णव की(आगमो के आधार पर जीवन चलाते हैं, जिन्होंने वैष्णव दीक्षा ली है)। इस बार की अष्टमी 6 सितंबर शाम को शुरू होगी और दूसरे दिन भी मध्य रात्रि में है तो स्मार्त पहली को ही मानना चाहते हैं। साथ ही इसी दिन व्रत भी रखेंगे। वहीं वैष्णव सप्तमी सेवित तिथि को जन्माष्टमी नहीं मानते इसलिए सात सितंबर को मनाएंगे।

भगवान कृष्ण के जन्म के समय बना था यह दुर्लभ संयोग
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस साल जन्माष्टमी विशेष है। इस साल भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय जैसा दुर्लभ संयोग बन रहा है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार द्वापर में भगवान कृष्ण के अवतार के समय भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र वृष राशि में चंद्रमा का संयोग बना रहा था। इस साल छह सितंबर को भी यही संयोग बन रहा है। छह सितंबर को सुबह 9.20 पर रोहिणी नक्षत्र शुरू हो रहा है। इसके अलावा इस साल इस दिन 12 साल बाद सर्वार्थ सिद्धि योग और बुधादित्य योग का संयोग बन रहा है।