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भारत में प्रचलित ये 10 प्रथाएं हैं अंधविश्वास, जानिए इनके पीछे का लॉजिक

आइए जानते हैं ऐसे ही 10 परंपराओं और उनसे जुड़े तर्कों के बारे में, जिन्हें अंधविश्वास मानना चाहिए....

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Sunil Sharma

Aug 16, 2016

superstition

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आज के आधुनिक भारत में भी कुछ ऐसी सामाजिक परंपराएं हैं जिन्हें मानने के लिए हमारे बुजुर्ग बहुत जोर देते हैं। इन परपंराओं में कुछ किन्हीं खास कारणों के चलते बनी हैं तो कुछ पूरी तरह से अंधविश्वास है। इन अंधविश्वासों को जानना अब हमारे लिए बहुत ही जरूरी बनता जा रहा है। आइए जानते हैं ऐसे ही 10 परंपराओं और उनसे जुड़े तर्कों के बारे में, जिन्हें अंधविश्वास मानना चाहिए....

बुरी नजर से बचने के लिए नींबू और मिर्ची का इस्तेमाल करना
इस अंधविश्वास को नींबू टोटका भी कहते हैं, नींबू और मिर्ची में बहुत विटामिन होते हैं। इसी वजह से हमारे पूर्वजों द्वारा नींबू और मिर्ची का इस्तेमाल शादी जैसे अवसरों पर किया जाता था क्योंकि वह नींबू और मिर्ची को अच्छा प्रतीक मानते थे। लेकिन धीरे-धीरे लोग नींबू और मिर्ची को बुरी नजर से बचाने वाला प्रतीक मानने लगे।

सूर्यास्त के बाद नाखूनों को नहीं काटना चाहिए
गुजरे जमाने में सूर्यास्त के बाद नाखूनों को इसलिए काटने के लिए मना किया था क्योंकि सूर्यास्त के बाद अंधेरे में नाखून काटना हमारे लिए नुकसानदायक हो सकता है। कम रोशनी या अंधेरे में नाखून काटने पर अंगुलियों के जख्मी होने का खतरा हो सकता है। लेकिन लोगों ने इसको भी अंधविश्वास बना डाला जिससे अब लोग अपने नाख़ून दिन में ही काटते हैं अगर रात में रोशनी हो तब भी नहीं काटते।

शाम के समय झाड़ू लगाने से घर में आता है बुरा समय
गुजरे जमाने में जब बिजली की सुविधा नहीं थी, उस समय लोगों से सूर्यास्त के बाद घर में झाड़ू लगाने के लिए नहीं कहा जाता था। सूर्यास्त के बाद घर में झाड़ू लगाने पर महत्वपूर्ण वस्तुओं के खो जाने या किसी और स्थान पर चले जाने की आशंका रहती थी। इसलिए, सूर्यास्त के बाद झाड़ू लगाने की मनाही रहती थी।

श्मशान से आने के बाद नहाना चाहिए
पहले लोगों के पास हेपेटाइटिस, चेचक और अन्य घातक रोगों से बचने के लिए टीकाकरण जैसी चिकित्सक सुविधाएं नहीं थीं। इसलिए उन्होंने इन घातक बिमारियों से बचने के लिए कई नियम बनाए। उनमें से एक था कि किसी व्यक्ति के अंतिम संस्कार के बाद घर आकर स्नान करना चाहिए। जिससे लोग इन घातक बीमारियों से बच सकते हैं, लेकिन धीरे-धीरे इस नियम को अंधविश्वास बना दिया गया। लोगों ने इस नियम को भूतों-प्रेतों की कहानियों से जोड़ दिया।

रात के समय पीपल के पेड़ के पास नहीं जाना चाहिए
रसायनशास्त्र वैज्ञानिक जन वन हेल्मोंत ने 17वीं सदी में खोजा था कि पौधे सूरज से रोशनी लेकर बढ़ते हैं। उससे पहले लोगों को यह तक पता नहीं था कि सूरज कि रोशनी और कार्बन डाईऑक्साइड का पौधों से क्या संबंध होता है? लेकिन हमारे पूर्वजों को प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के बारे में पता था जिससे उन्होंने लोगों को रात के समय पेड़ों के नजदीक सोने के लिए मना कर दिया था. लेकिन लोगों ने पीपल के पेड़ के साथ यह तथ्य जोड़ लिए कि पीपल के पेड़ पर भूत रहते हैं इसलिए इस पेड़ के पास रात के समय नहीं जाना चाहिए।

नदी में सिक्के फेंकना
माना जाता है कि नदी में सिक्के फेंकने से सफलता मिलती है। आज भी यह भारत के काफी जगहों पर प्रामाणित है। इसका कारण यह है कि पुराने वक्त में सिक्के पीतल के होते थे। पीतल पानी को स्वच्छ कर देता है और कीटाणु मार डालता है। उस वक्त नदियों से ही पीने को पानी मिलता था। तो नदियों में सिक्के डालने से पानी स्वच्छ मिलता था और हमारे शरीर में भी थोड़ा पीतल जाता। इसलिए कहा जाता है कि नदी में सिक्के डालना शुभ है। किंतु आज के सिक्के स्टेनलेस स्टील से बने है। इनका नदी में कुछ असर नहीं होता है। ये अब सिर्फ एक अंधविश्वास बन रह गया है।

सूर्यग्रहण के दौरान घर के बाहर पैर नहीं रखना चाहिए
अपनी आंख से सूर्यग्रहण को देखने से आंखों कि दृष्टि खत्म होने का डर रहता है। हमारे पूर्वजों ने शायद इसी वजह से सूर्यग्रहण को नुकसानदायक समझा और फिर सूर्यग्रहण के समय लोगों को घर से ना बाहर निकलने का नियम बनाया और पीड़ी दर पीड़ी यह अन्धविश्वास चलता गया और आज भी भारतीय इस अन्धविश्वास को मानते हैं।

उत्तर दिशा की तरफ सिर कर के नहीं सोना चाहिए
पहले के लोग जानते थे कि मानव के शरीर और पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में क्या संबंध हैं। इस वजह से हमारे पूर्वजों ने नियम बनाया होगा कि हमें दक्षिण की तरफ सिर करके सोना चाहिए क्योंकि उत्तर कि तरफ सिर करके सोने से हमें रक्तचाप जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन धीरे-धीरे लोगों ने इस वजह के पीछे यह अंधविश्वास जोड़ दिया कि उत्तर कि तरफ से मरने का खतरा बढ़ जाता है।

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