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krishna pingala sankashti chaturthi Katha: बहन के लिए गणपति ने लौटाए भाई के प्राण, सुननी चाहिए यह करामाती कृष्ण पिंगला संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा

संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत पूजा के दौरान कथा जरूर सुनना चाहिए, अब जब सात जून को कृष्ण पिंगला संकष्टी चतुर्थी है तो यहां पढ़िए कृष्ण पिंगला संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा (krishna pingala sankashti chaturthi Katha), जिसमें बहन की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान ने उसके भाई के प्राण तक लौटा दिए...

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Pravin Pandey

Jun 05, 2023

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कृष्ण पिंगला संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा

एक कथा के अनुसार एक गांव में भाई-बहन रहते थे। इसमें बहन का नियम था कि वह अपने भाई का चेहरा देखकर ही खाना खाती थी। रोजाना सुबह वह उठती और जल्दी-जल्दी सारा काम करके अपने भाई का मुंह देखने के लिए उसके घर जाती। एक दिन रास्ते में उसने एक पीपल के पेड़ के नीचे गणेशजी की मूर्ति रखी देखी। लड़की ने भगवान के सामने हाथ जोड़कर कहा कि मेरे जैसा अच्छा सुहाग और मेरे जैसा अच्छा पीहर सबको दीजिए। यह कहकर वह आगे बढ़ गई।


इस दौरान जंगल की झाड़ियों के कांटे उसके पैरों में चुभते रहे और अपने भाई के घर जैसे तैसे पहुंची और भाई का मुंह देख कर बैठ गई। उसका यह हाल देखकर लड़की की भाभी ने पूछा कि पैरों में क्या हुआ है। इस पर उसने भाभी से कहा कि रास्ते में जंगल की झाड़ियों से गिरे हुए कांटे पांव में चुभ गए हैं। जब वह वापस घर आने लगी तब भाभी ने अपने पति से कहा कि उस रास्ते को साफ करा दीजिए। और कारण जानकर लड़की के भाई ने कुल्हाड़ी से झाड़ियों को काटकर रास्ता साफ कर दिया। इस काम में गणेशजी का स्थान भी वहां से हट गया। इससे गणपति के नाराज होने से उसके भाई के प्राण निकल गए।

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जब लोग अंतिम संस्कार के लिए लड़की के भाई को ले जा रहे थे, तब भाभी रोते हुए कहने लगी कि थोड़ी देर रूक जाओ, उसकी ननद आने वाली है। वह अपने भाई का मुंह देखे बिना नहीं रह सकती है। उसका यह नियम है। यह सुनकर लोगों ने सवाल किया कि आज तो मुंह देख लेगी पर कल से कैसे देखेगी। इधर, रोजाना की तरह बहन अपने भाई का मुंह देखने के लिए जंगल में निकली तो उसने देखा कि सारा रास्ता साफ किया गया है। जब वह आगे बढ़ी तो उसने देखा कि सिद्धिविनायक को भी वहां से हटा दिया गया हैं। इस पर उसने भाई के पास जाने से पहले गणेशजी को एक अच्छे स्थान पर रखकर उन्हें फिर से स्थान दिया और हाथ जोड़कर बोली भगवान मेरे जैसा अच्छा सुहाग और मेरे जैसा अच्छा पीहर सबको देना और यह बोलकर वह आगे निकल गई।


तब भगवान सिद्धिविनायक ने उसे आवाज लगाई और कहा कि बेटी इस खेजड़ी की सात पत्तियां लेकर जा और उसे कच्चे दूध में घोलकर भाई के ऊपर छींटें मार देना, वह जीवित हो जाएगा। आवाज सुनकर लड़की पीछे मुड़ी लेकिन वहां कोई नहीं था। फिर भी उसने सोचा कि ठीक है, जैसा सुना वैसा कर लेती हूं। वह 7 खेजड़ी की पत्तियां लेकर अपने भाई के घर पहुंची तो देखा कि वहां कई लोग बैठे हुए हैं, भाभी बैठी रो रही है और भाई की लाश रखी है। तब उसने उन पत्तियों को बताए हुए नियम से भाई के ऊपर इस्तेमाल किया। उसका भाई फिर से जीवित हो गया।