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क्या आप जानते हैं अपनी कुल देवी और कुल देवता को, जानें पूजा न करने से क्या होता है नुकसान

Kuldevi Ki Puja Na Karne Se Kya Hota Hai: आप किसी भी समाज से हों, कोई मांगलिक कार्य करने जाएं, इसकी शुरुआत घर के लोग कुल देवी या देवता की पूजा (Kuldevi Aur Kul Devta) से करते होंगे। क्या आप जानते हैं कि कौन हैं कुल देवी और कुल देवता, इनका हमारे जीवन में क्या महत्व है। इनकी पूजा करने से क्या लाभ या पूजा न करने से क्या नुकसान होता है।

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भारत

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Pravin Pandey

May 28, 2025

Kuldevi aur kul devta

Kuldevi aur kul devta: कौन होते हैं कुल देवी और कुल देवता (Photo Credit: Patrika Design)

Kuldevi Aur Kul Devta: गांवों में कुल देवी या कुल देवता के मंदिर आपने देखे होंगे, जहां समाज के लोग जाकर पूजा अर्चना करते हैं। भारतीय समाज हजारों वर्षों से इनकी पूजा अर्चना करता आ रहा है, विशेष रूप से जन्म, विवाह आदि मांगलिक कार्यों में या साल में किसी विशेष दिन पर, जब कुल के लोग एक स्थान पर इकट्ठा होकर कुलदेवी या देवताओं की पूजा करते हैं या उनके नाम से स्तुति करते हैं। आइये जानते हैं कौन हैं ये कुल देवी और कुल देवता

कुल देवी और कुल देवता (Kuldevi Aur Kul Devta)

कुल का अर्थ है वंश (कुटुंब) या जाति, हिंदू सभ्यता के अनुसार हर व्यक्ति किसी न किसी देवी-देवता, ऋषि-मुनि का वंशज है। कुल के यही आदि स्त्री/पुरुष कुल देवी या कुल देवता के नाम से जाने जाते हैं। इसी परंपरा से उनके गोत्र (गुरुकुल) का भी पता चलता है।


ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार कुलदेवी- कुलदेवता कुल या वंश के रक्षक देवी देवता होते हैं। ये घर परिवार या वंश परंपरा के प्रथम पूज्य और मूल अधिकारी देव होते हैं। सर्वाधिक आत्मीयता के अधिकारी इन देवों की स्थिति घर के बुजुर्ग सदस्यों जैसी महत्वपूर्ण होती है। अत: इनकी उपासना या इनको महत्व दिए बगैर सारी पूजा और अन्य कार्य व्यर्थ हो सकते है।


कुल देवता या देवी हमारे वह सुरक्षा आवरण हैं जो किसी भी बाहरी बाधा, नकारात्मक ऊर्जा के परिवार में अथवा व्यक्ति पर प्रवेश से पहले सर्वप्रथम उससे संघर्ष करते हैं और उसे रोकते हैं, यह पारिवारिक संस्कारों और नैतिक आचरण के प्रति भी समय समय पर सचेत करते रहते हैं।


कुलदेवी और कुलदेवता की पूजा से व्यक्ति अपने पूर्वजों से जुड़ता है। केवल इतना ही नहीं, इससे परिवार के सदस्यों में एकता और सामंजस्य भी बढ़ता है।

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कुलदेवी और कुलदेवता का महत्व (Kuldevi Aur Kul Devta Ka Significance)

जयपुर के ज्योतिषी डॉ. अनीष व्यास के अनुसार जीवन में कुलदेवी और कुलदेवता का स्थान सर्वश्रेष्ठ है। आर्थिक उन्नति, कौटुंबिक सुख शांति और आरोग्य में कुलदेवी की कृपा का निकटतम संबंध पाया गया है। मान्यता है कि कुल देवता या कुलदेवी की पूजा से आध्यात्मिक और पारलौकिक शक्ति कुलों की रक्षा करती है। साथ ही नकारात्मक शक्तियों-ऊर्जाओं और वायव्य बाधाओं से रक्षा करती है। ताकि कुल निर्विघ्न अपने कर्म पथ पर अग्रसर रहकर उन्नति करता रहे।


कुल देवी और कुल देवता का प्रभाव इतना महत्वपूर्ण होता है की यदि ये रूष्ट हो जाएं तो अन्य कोई देवी देवता दुष्प्रभाव या हानि कम नहीं कर सकता या रोक नहीं लगा सकता। इसे यूं समझें यदि घर का मुखिया पिताजी - माताजी आपसे नाराज हों तो पड़ोस के या बाहर का कोई भी आपके भले के लिए, आपके घर में प्रवेश नहीं कर सकता क्योंकि वे बाहरी होते हैं। खासकर सांसारिक लोगों को कुलदेवी देवता की उपासना इष्ट देवी देवता की तरह रोजाना करना ही चाहिए।


कई लोगों को अपने कुल देवी देवता के बारे में कुछ भी नहीं मालूम होता है। लेकिन इससे उनका अस्तित्व खत्म नहीं हो जाता। यदि मालूम नहीं है तो अपने परिवार या गोत्र के बुजुर्गों से कुलदेवता-देवी के बारे में जानकारी लें।


कुल देवी/कुल देवता को नजरंदाज करने का क्या होता है नुकसान (Kuldevi Ki Puja Na Karne Se Kya Hota Hai)

1.भविष्यवक्ता डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि कुल देवता/ देवी की पूजा छोड़ने के बाद कुछ वर्षों तक तो कोई खास अंतर नहीं समझ में आता, लेकिन जब सुरक्षा चक्र हटता है तो परिवार में दुर्घटनाओं, नकारात्मक ऊर्जा, वायव्य बाधाओं का बेरोक-टोक प्रवेश शुरू हो जाता है, उन्नति रूकने लगती है, पीढ़िया अपेक्षित उन्नति नहीं कर पातीं।

2. परिवार में संस्कारों का क्षय, नैतिक पतन, कलह, उपद्रव, अशांति शुरू हो जाती हैं, व्यक्ति कारण खोजने का प्रयास करता है, कारण जल्दी नहीं पता चलता क्योकि व्यक्ति की ग्रह स्थितियों से इनका बहुत मतलब नहीं होता है। अतः ज्योतिष आदि से इन्हें पकड़ना मुश्किल होता है, भाग्य कुछ कहता है और व्यक्ति के साथ कुछ और घटता है।

3. कुल देवी और कुल देवता किसी भी ईष्ट को दी जाने वाली पूजा को इष्ट तक पहुंचाते हैं, यदि इन्हें पूजा नहीं मिल रही होती है तो ये नाराज भी हो सकते हैं और निर्लिप्त (उदासीन) भी हो सकते हैं, ऐसे में आप किसी भी इष्ट की आराधना करें वह उस इष्ट तक नहीं पहुंचता, क्योंकि सेतु कार्य करना बंद कर देता है। इससे बाहरी बाधा, अभिचार आदि नकारात्मक ऊर्जा बिना बाधा व्यक्ति तक पहुंचने लगती है। परिवार पारलौकिक शक्तियों के लिए खुल जाता है।

4. कभी कभी व्यक्ति या परिवारों द्वारा दी जा रही इष्ट की पूजा कोई अन्य बाहरी वायव्य शक्ति लेने लगती है, अर्थात पूजा न इष्ट तक जाती है न उसका लाभ मिलता है। ऐसा कुलदेवता की निर्लिप्तता या उनके कम शशक्त होने से होता है।

5. जिन घरों में कुलदेव परम्परा भी लुप्तप्राय हो गई है, जिन घरों में प्राय: कलह रहती है, वंशावली आगे नहीं बढ़ रही है, निर्वंशी हो रहे हों, आर्थिक उन्नति नहीं हो रही है, विकृत संतानें हो रहीं हों या अकाल मौतें हो रहीं हों, उन परिवारों को इस पर विशेष ध्यान देना चाहिए।