
पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री
Lal Bahadur Shastri Biography: देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने बेहद कठिन परिस्थितियों में देश की बागडोर संभाली थी। इनका जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी से सात मील दूर मुगलसराय में हुआ था। जब लाल बहादुर शास्त्री डेढ़ वर्ष के थे, तभी पिता का देहावसान हो गया।
कठिन परिस्थितियों में इन्होंने शिक्षा ग्रहण की। पढ़ाई के लिए कई मील की दूरी वो नंगे पांव तय करते थे। वे भारत में अंग्रेजों के शासन का समर्थन कर रहे राजाओं की गांधीजी की ओर से की गई निंदा से बहुत प्रभावित हुए और राष्ट्रीय स्तर पर काम करने का मन बना लिया।
1930 में नमक कानून तोड़ने के लिए गांधीजी ने दांडी यात्रा की तो वे इसमें शामिल हो गए। उन्होंने कई विद्रोही अभियानों का नेतृत्व किया और सात वर्ष तक जेल में रहे। 1946 में जब कांग्रेस सरकार का गठन हुआ तो यूपी में संसदीय सचिव की भूमिका निभाई। बाद में गृहमंत्री बने, 1951 में केंद्र में आ गए और रेल समेत कई विभागों को संभाला। एक रेल दुर्घटना के बाद जब उन्होंने रेल मंत्री पद से इस्तीफा दिया तो नैतिकता का यह उच्च आदर्श लोगों की जहन में बस गया।
इसकी प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने भी तारीफ की थी। वे 9 जून 1964 को प्रधानमंत्री बने। नेहरूजी के निधन के बाद उभरी परिस्थितियों का फायदा उठाने के लिए 1965 में जब पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण किया तो उनके नेतृत्व में ही देश ने विजय हासिल की, उनका जय जवान जय किसान नारा भी काफी चर्चित हुआ था। 11 जनवरी 1966 को संदिग्ध परिस्थितियों में उनकी मौत हो गई थी।
वे बातें जो सीख सकते हैं
1. लाल बहादुर शास्त्री कभी खराब परिस्थितियों में घबराए नहीं और संघर्ष से प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचे। वे कड़ी मेहनत से पीछे नहीं हटते थे।
2. लाल बहादुर शास्त्री दृढ़ निश्चयी थे, वो एक बार जो निर्णय ले लेते थे कभी पीछे नहीं हटते थे।
3. राष्ट्र प्रेम की भावना से ओतप्रोत थे और गांधीजी की तरह उच्च नैतिक मानदंडों का पालन करने वाले थे। संयोग से दोनों नेताओं का जन्नदिन भी एक ही दिन है। उनकी ईमानदारी और उच्च आदर्श की नेहरू जी ने भी सराहना की थी।
4. विनम्र और आंतरिक दृष्टि से मजबूत और कुशल रणनीतिकार थे। उन्होंने कांग्रेस पार्टी के कई चुनाव अभियानों का नेतृत्व किया और जीत दिलाई। इसमें उनकी सांगठनिक प्रतिभा और चीजों को नजदीक से परखने की उनकी क्षमता की खूब सराहना की गई।
5. उदात्त निष्ठा, क्षमता के धनी, विनम्र, दृढ़, सहिष्णु शास्त्रीजी लोगों की भावनाओं को समझने वाले थे। वे दूरदर्शी और देश को प्रगति के मार्ग पर ले जाने वाले थे।
शास्त्रीजी के प्रमुख विचार (Shastriji Ke Vichar)
1. देश की तरक्की के लिए हमें आपस में लड़ने की बजाय गरीबी, बीमारी और अज्ञानता से लड़ना होगा।
2. कोई भी हमारे देश में अछूत कहा जाएगा तो हमारा सिर शर्म से झुक जाएगा।
3. हम सिर्फ खुद के लिए नहीं, पूरी दुनिया की तरक्की, शांति और कल्याण में विश्वास रखते हैं।
4. हमारी ताकत और मजबूती के लिए सबसे जरूरी काम है एकता स्थापित करना।
5. कानून का सम्मान किया जाना चाहिए ताकि लोकतंत्र की बुनियादी संरचना बरकरार रहे।
Updated on:
11 Jan 2023 01:22 pm
Published on:
11 Jan 2023 01:21 pm
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