
जगन्नाथ मंदिर
ऐसी मान्यता है कि ग्वालियर से लगभग 17 किमी दूर कुलैथ गांव के एक श्रीवास्तव परिवार के संपन्न व्यक्ति थे, उन्हीं के साथ भगवान जगन्नाथ ओडिशा से ग्वालियर आए थे, तभी से यहां हर साल मेले और रथयात्रा का आयोजन किया जाता है। श्रीवास्तव परिवार और मंदिर के पुजारी किशोरीलाल श्रीवास्तव के अनुसार उनके बाबा सांवलेदास बाल्यावस्था में जगन्नाथ मंदिर दंडवत करते गए थे और उन्होंने 1846 तक सात बार पुरी की दंडवत यात्रा की। इससे भगवान उनके साथ यहां आ गए और इसी साल घर में उनका मंदिर बनवाया गया। यह मंदिर 177 साल का हो गया है।
किशोरीलाल श्रीवास्तव के अनुसार 1807 में उनके बाबा के माता-पिता का देहांत हो गया। इस पर बालक सांवलेदास को बताया गया कि उनके माता-पिता जगन्नाथजी गए हैं और यदि वे दंडवत करते हुए वहां जाएं तो उन्हें वे मिल जाएंगे। 1816 में नौ साल की उम्र में वे दंडवत करते हुए जगन्नाथ पुरी ओडिशा के लिए रवाना हो गए। रास्ते में उन्हें एक साधु रामदास महाराज मिले, जिन्होंने उन्हें बताया कि उनके माता-पिता की मृत्यु हो गई है और वे इसी प्रकार दंडवत करते हुए सात बार जाएंगे, तो उनको चमत्कार दिखेगा। सांवलेदास लगातार पुरी की यात्रा करते रहे।
1844 की यात्रा के दौरान उन्हें स्वप्न आया कि वे कुलैथ में मंदिर बनवाएं लेकिन वे मूर्ति पूजा के उपासक नहीं बनना चाहते थे। उन्होंने मंदिर का निर्माण नहीं कराया और वे दो वर्ष तक भटकते रहे। इसके बाद उन्हें 1846 में फिर सपने में आदेश मिला कि वे चमत्कार देखें।
यदि वे चावल के घट भरकर घर में एक स्थान पर रखेंगे तो वह चार भागों में विभक्त हो जाएगा। उन्होंने वैसा ही किया और परिणाम भी वैसा ही हुआ। मिट्टी के मटके में पके चावल रखने के बाद यह चार भागों में बंट गया। बाद में उन्हें फिर सपना आया कि गांव के पास बहने वाली सांक नदी में चंदन की लकड़ी की दो मूर्तियां रखी हैं, उन्हें लाकर उनके हाथ पैर बनवाए। इसके बाद उन्होंने उन मूर्तियों को लाकर कुलैथ गांव में स्थापित कर दिया, तभी से यहां पर मंदिर में भगवान विराजमान हैं। 1846 में घर में ही मंदिर की स्थापना की गई। तब से आज तक वहां पूजा-अर्चना जारी है।
कुलैथ में जगन्नाथजी मंदिर के पुजारी किशोरी लाल का कहना है हर साल जगन्नाथ पुरी में होने वाली रथ यात्रा साढ़े तीन घंटे के लिए रूकती है और उस वक्त वहां घोषणा की जाती है कि जगन्नाथजी, पुरी से ग्वालियर के कुलैथ चले गए हैं। किशोरी लाल का कहना है इस वक्त यहां चमत्कार होता है, कुलैथ की तीनों मूर्तियों की आकृति बदल जाती हैं। उनका बजन भी बढ़ जाता है। मुख्य पुजारी किशोरीलाल को भी इसका आभास होता है। इसके बाद कुलैथ मंदिर की मूर्ति को रथ में बिठाकर रथ खींचने की शुरूआत जाती है। कुलैथ और पुरी में दोनों ही मंदिरों में चावल से भरे घट के अटका ( मटका) चढ़ाए जाते हैं। हालांकि यहां मटका चढ़ाए जाने पर यह चार भाग में बंट जाता है। मान्यता है कि आज भी कुलैथ के जगन्नाथ मंदिर में ऐसा ही चमत्कार होता है।
20 जून को यहां निकलेगी रथयात्रा, सात दिन क्वारंटाइन रहेंगे भगवान
ग्वालियर जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर ग्राम कुलैथ में जगन्नाथ भगवान की रथयात्रा एवं मेला 20 व 21 जून को आयोजित किया जा रहा है। इसमें देश के कई हिस्सों से लोग शामिल होंगे। इससे पहले 12 जून को जगन्नाथ मंदिर के पट बंद होंगे और जगन्नाथ भगवान 7 दिन तक एकांतवास (क्वारंटाइन) करेंगे। 19 जून को रथयात्रा से एक दिन पहले सुबह 6 बजे पट खुलेंगे। 20 जून को शाम 4 बजे रथयात्रा निकाली जाएगी। उससे पहले जगन्नाथ जी की महाआरती कर चावल भरे घट प्रभु को भोग लगाकर समस्त श्रद्धालुओं को चावल का भोग वितरित किया जाएगा और रथयात्रा शुरू होगी। मेले में भजन संध्या, लोकगीत भी होंगे।
रथयात्रा से पहले 10 से रामधुन
हर वर्ष होने वाली रथयात्रा एवं मेले में इस बार कई विशेष आयोजन होंगे। 10 एवं 11 जून को रामधुन का आयोजन महारूद्र सेवा मण्डल तारागंज वाले द्वारा किया जाएगा।
13 से होगी श्रीमद्भागवत कथा
13 जून से श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। जिसके कथा व्यास अंकित शास्त्री होंगे। कथा का आयोजन ग्वालियर निवासी शकुंतला सुरेशचंद्र गुप्ता द्वारा किया जा रहा है।
शाजापुर और कुलैथ में निकल रही श्री जगन्नाथ रथ यात्रा
आज ओडिशा के पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा तो निकाली ही जा रही है, मध्य प्रदेश के शाजापुर और मध्य प्रदेश में ग्वालियर के कुलैथ में स्थापित सैकड़ों साल पुराने मंदिर से भी श्री जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली गई।
शाजापुर में रथयात्रा महोत्सव के तहत मंगलवार को नगर में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में बड़ी संख्या में भक्त शामिल हुए, जिसका कई स्थानों पर पुष्पवर्षा कर रथ यात्रा का स्वागत किया। शाजापुर के हिंगलाज माता मंदिर से शुरू हुई रथयात्रा नगर के विभिन्न मार्गों से होते हुए डांसी रोड स्थित श्री जगदीश मंदिर पहुंची। यहां पर भगवान जगन्नाथ बहन सुभद्रा और भाई बलराम जी की महाआरती के पश्चात प्रसादी का वितरण किया गया।
Updated on:
23 Jun 2024 02:27 pm
Published on:
09 Jun 2023 02:11 pm
बड़ी खबरें
View Allधर्म और अध्यात्म
धर्म/ज्योतिष
ट्रेंडिंग
