
Premanand Ji Maharaj Pravachan on NaamJap benifits: नहीं मिलता नामजप का फायदा? कारण और समाधान समझें। (फोटोः एआई)
Premanand Maharaj Pravachan: अपने गुरु से मिले नाम या इष्ट के नाम को बार-बार दोहराना ही नामजप कहा जाता है। हर भक्त नामजप करता ही है। रामचरितमानस में तुलसीदास जी ने भी नाम को ही प्रभु को पाने का सबसे आसान तरीका बताया है।
लेकिन यदि आप लगातार नामजप कर रहे हैं और इसका कोई फायदा नहीं दिख रहा हो, तो यह लेख आपके लिए ही है। इसमें प्रेमानंद जी महाराज से समझिए, ऐसा क्यों होता है और इसका हल क्या है?
प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि, लाखों जन्म के बाद मानव जन्म मिलता है। ऐसे में मुक्ति और परमात्मा को पाने के लिए, सबसे पहले हमें अपनी बुरी आदतों को दूर करना होगा। बिल्कुल विकार नहीं रहना चाहिए। भक्त का काम सिर्फ भगवत स्वरुप का स्मरण होना चाहिए। हमें परमात्मा को 24 घंटे याद करते रहना है। उन्हीं को श्रीकृष्ण, वाहेगुरु, परमात्मा और उन्हीं को भगवान कहते हैं। अलग-अलग भावों से अलग नामों का उच्चारण होता है। ज्ञानीजन ब्रह्म, योगीजन परमात्मा तो भक्तजन भगवान कहकर पुकारते हैं। जो गुरु साहब की महाकरुणा से आशीर्वाद प्राप्त हैं, वे उन्हीं को वाहेगुरु कहते हैं। वाहेगुरु भी वही परमात्मा है। कोई दूसरा नहीं।
तो हम ये प्रण ले लें, ये दृढ़ संकल्प ले लें कि वो एक ही है, बस उसके नाम अलग-अलग है। पर सब नामों में होता वही है। भाव उसी तक पहुंचते हैं। इस भाव से लगातार, नियमित और रोजाना नामजप करने से एक दिन भगवान की प्राप्ति संभव है।
प्रेमानंद जी महाराज ने समझाया कि, खुद को इस भाव से नामजप करने की कसौटी पर कसें। जब इतनी तड़प होने लगे भगवान की, वाहेगुरु को पाने की, जैसे हम प्यासे हो और कोई रबड़ी पिलाएं, तो हम पानी मांगें। इस तरह व्याकुलता हो कि जैसे जल में डुबो देने पर सांस की जरूरत हो। ऐसे ही हमें प्रभु चाहिए। जब इतनी प्यास जाग जाएगी, तब परमात्मा मिल जाएंगे। इस भाव के आगे ही परमात्मा प्रकट होने पर मजबुर हो जाते हैं कि, भक्त को भगवान के अलावा कुछ और चाहिए ही नहीं। फिर तुम्हें कुछ कहने, मांगने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अभी अपनी चाहतों की, मांगने की, इच्छाओं को पूरी करने के लिए उसे याद करने की कमी को ठीक करो। अपनी चाहतों को खत्म करो। जब सब इच्छाएं मिट जाए और परमेश्वर की चाह में व्याकुल हो जाएं, तब उसकी झलक मिलती है। तब भगवान मिलते हैं। तब दर्शन संभव हो पाते हैं।
कुल मिलाकर महाराज श्री ने इच्छाओं को अलग कर निस्वार्थ भाव से नाम जप करने की सलाह दी है। उनके अनुसार, यदि साधक बिना कामना के प्रभु को याद करता है, नाम जप करता है…तो फिर परमात्मा का दर्शन मिलना तय हो जाता है।
Updated on:
27 Dec 2025 04:25 pm
Published on:
27 Dec 2025 04:21 pm
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