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Pitru Devata Puja Vidhi: पितृ देवता और कुल देवी की आसान पूजा विधि, जानें नियम

Pitru Devata Puja Vidhi: क्या आपको मालूम है पितृ देवता और कुल देवी की पूजा कैसे करते हैं, आइये जानते हैं आसान पूजा विधि (Pitru Devata Puja Rules) ..

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भारत

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Pravin Pandey

May 30, 2025

Pitru Devata Puja Vidhi

Pitru Devata Puja Vidhi: पितृ देवता पूजा विधि (Photo Credit: freepik)

Pitru Devata Puja Vidhi: पितृ देवता और कुल देवी की प्रसन्नता घरवालों को सुरक्षित रखती है और उन्नति का रास्ता खोलती हैं। इसलिए इनकी पूजा करना आवश्यक है। भविष्यवक्ता डॉ. अनीष व्यास के अनुसार कुलदेवता या कुलदेवी का हमारे जीवन में बहुत महत्व होता है।

इनकी पूजा आदिकाल से चलती आ रही है, इनके आशीर्वाद के बिना कोई भी शुभ कार्य नहीं होता है। यही वो देव या देवी हैं, जो कुल की रक्षा के लिए हमेशा सुरक्षा घेरा बनाए रखते हैं। आपकी पूजा पाठ, व्रत कथा जो भी आप धार्मिक कार्य करते है उनको वो आपके इष्ट तक पहुंचाते हैं। इनकी कृपा से ही कुल वंश की प्रगति होती है।


पितृ देवता की पूजा न करने का दुष्प्रभाव

बहुत से ऐसे लोग भी हैं जो बहुत पूजा पाठ करते है, बहुत धार्मिक है फिर भी उसके परिवार में सुख शांति नहीं है। बेटा बेरोजगार होता है, बहुत पढ़ने-लिखने के बाद भी पिता पुत्र में लड़ाई होती रहती है, जो धन आता है घर मे पता ही नहीं चलता, कौन से रास्ते निकल जाता है।


पहले बेटे-बेटी की शादी नहीं होती, शादी किसी तरह हो भी गई तो संतान नहीं होती। ये संकेत है की आपके कुलदेव या देवी, पितृ देवता आपसे रूष्ट है। आपके ऊपर से सुरक्षा चक्र हट चुका है, जिसके कारण नकारात्मक शक्तियां आप पर हावी हो जाती हैं। फिर चाहे आप कितना पूजा-पाठ कर लें, कोइ लाभ नहीं होगा। आइये जानते हैं पितृ देवता और कुलदेवी की आसान पूजा विधि (Kuldevi Ki Gharelu Puja Vidhi)

पितृ देवता की पूजा विधि (Pitru Devata Puja Vidhi)


भविष्यवक्ता डॉ. अनीष व्यास के अनुसार पितृ देवता की पूजा के लिए कुछ नियम होते हैं इसका ध्यान रखना चाहिए। आइये जानते हैं स्टेप बाय स्टेप पितृ देवता पूजा विधि ..

1.शुद्ध सफेद कपड़े के आसन पर पितृ देवता का चित्र स्थापित करें और घी का दीपक लगाकर गुग्गुल धूप देकर, घी से हवन करकर चावल की सेनक (चावल को उबालकर उसमें घी, शक्कर मिलाएं) या चावल की खीर - पूड़ी का भोग लगाएं। अगरबत्ती, नारियल, सतबनी मिठाई, मखाने दाने, इत्र, हर - फूल आदि श्रद्धानुसार अर्पित करें।

2. पितृ देवता को अठवाई भी अर्पित की जाती है। ये अठवाई, दो पूड़ी के साथ एक मीठा पुआ और उस पर सूजी का हलवा, इस प्रकार दो जोड़े कुल मिलाकर 4 पूड़ी, 2 मीठा पुआ और थोड़ा सूजी का हलवा से बनती है।

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कुल देवी की पूजा विधि


कई लोग विशिष्ट अवसरों पर कुलदेवी और कुलदेवता की पूजा तो करते ही हैं। रोजाना भी उनका ध्यान करते हैं। इसके बावजूद उन्हें इच्छित फल प्राप्त नहीं हो पाता और परिवार संकट से घिरा रहता है। ऐसा होने के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन एक कारण कुल देवी या देवता की पूजा में त्रुटि हो सकती है। आइये डॉ. अनीष व्यास से जानते हैं कुल देवी की आसान पूजा विधि …

1. सबसे पहले घर के बड़े बुजुर्ग और आस पड़ोस की बुजुर्ग महिलाओं से जान लें कि आपकी कुल देवी कौन हैं। साथ ही उनकी पूजा का दिन कौन सा है। इसके बाद कुछ दिन उनके स्थान पर दीपक जलाओ और फिर शुक्रवार से कुल देवी की पूजा शुरू करो, इसके बाद महीने में एक निश्चित दिन जो कुल देवी का हो, उस शाम को खीर बनाकर माता का भोग लगाओ।

2. शुक्रवार की सुबह नित्य कर्म से बाद पूजा के स्थान पर एक सिक्का रखें और उस पर सुपारी रख दें, साथ ही इसके पास घी का दीपक जला दें।

3. फिर चंद पवित्र जल की बूंदें सुपारी को अर्पित कीजिए, अब सुपारी के ऊपर मौली रख कर कहिए- हे माता जी वस्त्र अर्पित कर रहे हैं। अब सुपारी पर सिंदूर लगा कर कहें- माता जी कृपा श्रृंगार ग्रहण करें।
इसके बाद हाथ जोड़ कर कहें – हे माता जी कोई भूल चूक हुई हो, तो अपना समझ कर माफ कीजिए और हमारे घर में स्थान ग्रहण कीजिए।


साथ ही देवी मां से कहें कि कृपा कर घर के सभी सदस्यों को आशीर्वाद दीजिए और मार्गदर्शन कीजिए और मुझे भी दर्शन देने की कृपा करें। इसके बाद सुपारी को कुलदेवी मानकर वहीं रहने दें।

4. मान्यता है कि मौली चढ़ते ही सुपारी गौरी गणेश का रूप ले लेती है, जिसके बाद से अब हर रोज शाम को उनके समक्ष घी का दीपक जलाएं, साथ ही प्रार्थना भी करें कि हे माता जी दर्शन दीजिए। कहा जाता है कि इसके बाद माता प्रसन्न होकर या तो दर्शन देती हैं, या कोई रास्ता दिखातीं हैं।

5. कुलदेवी की पूजा करते समय हमेशा शुद्ध देसी घी का ही दीया जलाएं। साथ ही कुलदेवी की पूजा महीने में एक बार जरूर कीजिए, वह भी उनकी पूजा की तिथि पर।

6. कुल देवी से जुड़े दिनवार का पता न होने पर हर महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को सूर्यास्त के बाद पूजा करें। साथ ही खीर का जो भोग बनाया है , उसे केवल घर के सदस्य ही खाएं यानी किसी बाहर वाले को इसे न दें।

7. इसके अलावा ये भी जान लें कि इस दिन दूध का दान नहीं करना है, इसे किसी देवता को भी न चढ़ाएं। माना जाता है कि यदि इस तरह आप कुलदेवी की पूजा करेंगे तो आपकी मनोकामनाएं अवश्य पूरी होंगी।