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Pitru Paksh: पितृ पक्ष 29 सितंबर से, 15 दिन के लिए इन कामों पर लग जाएगा प्रतिबंध

pitru paksha: पितरों का महीना पितृपक्ष करीब है, इस महीने के आखिर में श्राद्ध (shraddha) तर्पम का महीना आने वाला है। इसी के साथ 15 दिन के लिए कई काम में प्रतिबंध लग जाएंगे तो आइये जानते हैं कब से शुरू हो रहा है पितृ पक्ष..

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Pravin Pandey

Sep 05, 2023

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पितृ पक्ष 2023

Pitru Paksha: हिंदू धर्म में भाद्रपद पूर्णिमा से अश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या तक का समय पितरों की पूजा अर्चना के लिए निर्धारित है। इस समय श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान आदि कार्य किए जाते हैं। साथ ही कई अन्य काम पर इस समय रोक लग जाती है। पितृपक्ष की शुरुआत भाद्रपद पूर्णिमा 29 सितंबर से हो रही है और यह 14 अक्टूबर तक चलेगा।


पितृ पक्ष का महत्व
जिस किसी के परिजन चाहे वह विवाहित हो या अविवाहित हों, बच्चा हो या बुजुर्ग, स्त्री हो या पुरुष उनकी मृत्यु हो चुकी है उन्हें पितर कहा जाता है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार मृत्यु के देवता यमराज श्राद्ध पक्ष में जीव को मुक्त कर देते हैं, ताकि वह स्वजनों के घर जाकर तर्पण ग्रहण कर सकें और इस समय पितर धरती लोक में निवास करते हैं और इस समय तर्पण और श्राद्ध से प्रसन्न होते हैं।


तिथि अनुसार पितृ पक्ष पिंड दान
पितृपक्ष में सभी लोग अपने-अपने पूर्वजों की मृत्यु तिथि के अनुसार उनका श्राद्ध करते हैं। इस समय पितृ दोष से मुक्ति और पितरों की शांति के लिए इस समय दान और ब्राह्मण भोजन कराया जाता है। यह भी मान्यता है कि पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध और तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है और वे वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। इससे घर में सुख शांति आती है।

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पितृपक्ष में रूक जाते हैं ये मांगलिक कार्य
पुरोहितों के अनुसार पितृ पक्ष पितरों को समर्पित है, इन दिनों में हर दिन उनके लिए खाना निकाला जाता है। इसके साथ ही उनकी तिथि पर बाह्मणों को भोज कराया जाता है। इसलिए इन दिनों शुभ कार्यों पर रोक रहती है। इस समय गृह प्रवेश, कर्णछेदन, मुंडन, शादी, विवाह आदि कार्य नहीं कराए जाते। इसके साथ ही पितृ पक्ष में न कोई नया कपड़ा खरीदा जाता और न ही पहना जाता है।

श्राद्ध पक्ष की प्रमुख तिथियां
1. 29 सितंबर- पूर्णिमा का श्राद्ध
2. 30 सितंबर- प्रतिपदा और द्वितीया का श्राद्ध
3. 1 अक्टूबर- तृतीया का श्राद्ध
4. दो अक्टूबर- चतुर्थी का श्राद्ध
5. तीन अक्टूबर- पंचमी का श्राद्ध
6. चार अक्टूबर- षष्ठी का श्राद्ध


7. पांच अक्टूबर- सप्तमी का श्राद्ध
8. छह अक्टूबर- अष्टमी का श्राद्ध
9. सात अक्टूबर- नवमी का श्राद्ध
10. आठ अक्टूबर- दशमी का श्राद्ध
11. नौ अक्टूबर- एकादशी का श्राद्ध
12. 10 अक्टूबर- द्वादशी का श्राद्ध


13. 11 अक्टूबर- त्रयोदशी का श्राद्ध
14. 12 अक्टूबर- चतुर्दशी का श्राद्ध
15. 13 अक्टूबर- सर्व पितृ अमावस्या का श्राद्ध