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Pradosh Vrat Date: नए साल का पहला प्रदोष व्रत कब है, जानें तिथि और मुहूर्त

नए साल का पहले प्रदोष व्रत चार जनवरी है। इस दिन व्रत में कई बातों का ध्यान रखना चाहिए, इसके लिए पढ़ें पूरी रिपोर्ट।

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Shailendra Tiwari

Dec 29, 2022

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प्रदोष व्रत

भोपाल. हर महीने की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस दिन सायंकाल भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है। जिस दिन त्रयोदशी पड़ती है, उसे उसी दिन के नाम से जाना जाता है। साल 2023 का पहला प्रदोष व्रत 4 जनवरी बुधवार को पड़ रहा है। इसलिए इसे बुध प्रदोष कहेंगे, भक्त बुध प्रदोष के दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना करेंगे।


बुध प्रदोष व्रत की तिथिः पंचांग के अनुसार पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तीन जनवरी रात 10.02 बजे से लग रही है जो पांच जनवरी पूर्वाह्न 12.01 बजे संपन्न हो रही है। उदयातिथि में प्रदोष व्रत चार जनवरी को रखा जाएगा। भक्त इस दिन नियम से व्रत रखकर भगवान शिव से मनोवांछित फल देने की प्रार्थना करेंगे।


प्रदोषकालः पुरोहितों के अनुसार त्रयोदशी के दिन पूजा प्रदोषकाल में होती है। यह प्रदोषकाल सूर्यास्त से दो घड़ी यानी 48 मिनट तक माना जाता है। सूर्यास्त सामान्यतः 5.45 बजे के आसपास होता है, इसलिए प्रदोष काल इसके बाद 48 मिनट की अवधि के बीच होगा। इसी अवधि में भक्तों को पूजा पाठ करना चाहिए।


कब शुरू करना चाहिए ये व्रतः विद्वानों के अनुसार यह व्रत किसी भी माह की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी से शुरू करना चाहिए।


ऐसे करें पूजा


1. इस व्रत के लिए त्रयोदशी के दिन प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर व्रत का संकल्प लें।
2. स्नानादि के बाद मंदिर या घर के पूजा स्थल में पूजा करें।
3. पूरे दिन भगवान शिव के नाम का जाप करें।
4. शाम के समय प्रदोषकाल में जो तकरीबन 5.45 बजे से शुरू होता है, पुनः शिव के मंदिर या घर के पूजा स्थल पर आएं, यहां जल अर्पित करें।

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5. बेलपत्र, धतुरा, आकड़ा अर्पित करें.
6. शिव चालीसा का पाठ करें, शिव मंत्रों का भी जाप करें। अंत में शिव स्तुति जरूर करें।
7. ये संपूर्ण पूजा, परिवार के साथ करें, इसके बाद सात्विक भोजन कर सकते हैं।
8. त्रयोदशी के एक दिन पूर्व से ब्रह्मचर्य का पालन करें।