
पुत्रदा एकादशी व्रत कथा
भोपाल. पौष शुक्ल एकादशी की कथा और महात्म्य भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताई थी। भगवान श्रीकृष्ण ने बताया था कि इस एकादशी का नाम पुत्रदा एकादशी है और इसके समान कोई व्रत नहीं है। इसके फल से व्यक्ति विद्वान, धनवान और तपस्वी बनता है।
भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया कि भद्रावती नगर में सुकेतुमान नाम का राजा राज्य करता था। उसकी पत्नी का नाम शैव्या था, राजा को कोई पुत्र नहीं था। इससे दोनों चिंतित रहते थे। हाल यह था कि एक वक्त उसने देह त्याग देने तक का विचार कर लिया था, हालांकि बाद में उसने इसे पाप समझकर यह विचार त्याग दिया। इस बीच एक दिन राजा इन्हीं विचारों के साथ वन भ्रमण के लिए निकला था। वन के सुरूचिपूर्ण दृश्य देखते आधा दिन बीत गया।
इधर, राजा को प्यास लगी तो वह पानी की तलाश में जुट गया। इसी दौरान उसे एक सरोवर दिखा, उसमें कमल खिले थे, हंस, मगरमच्छ विचरण कर रहे थे। चारों तरफ मुनियों के आश्रम थे, राजा वहां पहुंचा और मुनियों को दंडवत प्रणाम कर बैठ गया। इससे प्रसन्न मुनियों ने राजा की इच्छा पूछी। इस पर राजा ने उनका परिचय पूछा। मनुयों ने बताया कि आज संतान प्रदान करने वाली पुत्रदा एकादशी है। वे लोग विश्वदेव हैं और सरोवर में स्नान करने आए हैं।
यह जानकर राजा ने अपना मनोरथ बताया और कहा कि उसके कोई संतान नहीं है और पुत्र का वरदान मांगा। इस पर मुनियों ने कहा कि आज पुत्रदा एकादशी है, आप इसका व्रत करें। इसके फल से आप को संतान मिलेगी। इस पर राजा ने वहीं एकादशी व्रत किया और द्वादशी को पारण किया। इसके बाद मुनियों को प्रणाम कर महल लौट आया।
कुछ समय बाद रानी ने गर्भ धारण किया और पुत्र को जन्म दिया। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि हे राजन जिस मनुष्य को पुत्र की कामना है, उसे यह व्रत करना चाहिए। जो मनुष्य इस महात्म्य को पढ़ता सुनता है उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
जानें शुभ मुहूर्तः पौष पुत्रदा एकादशी नए साल में पड़ने वाली पहली एकादशी तिथि है। यह तिथि 2 जनवरी 2023 को पड़ रही है। पौष पुत्रदा एकादशी की शुरुआत 1 जनवरी 2023 को शाम 7 बजकर 11 मिनट पर होगी और इसका समापन 2 जनवरी 2023 को शाम 8 बजकर 23 मिनट पर होगा। पौष पुत्रदा एकादशी का पारण 3 जनवरी 2023 को सुबह 7 बजकर 12 मिनट से 9 बजकर 25 मिनट तक किया जा सकेगा।
Updated on:
27 Dec 2022 11:15 am
Published on:
27 Dec 2022 11:14 am
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