Rudraksh ke labh: सावन का महीना भगवान शिव का प्रिय माना जाता है, इस महीने शिव शंभू आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं। इसलिए उनकी कृपा पाने के लिए भक्त तमाम तरह के उपाय करते हैं। इन्हीं में से एक उपाय है सावन में रुद्राक्ष धारण करना, क्योंकि यह शिवजी का ही प्रिय आभूषण है और किसी रत्न से कम नहीं है। ऐसा करने से भोलेनाथ भक्त पर प्रसन्न हो जाते हैं। लेकिन रुद्राक्ष धारण करने के नियम जानना जरूरी है। क्योंकि गलत यानी रुद्राक्ष पहनने से आपके जीवन में मुश्किल आ सकती है।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पत्ति शिवजी के आंसुओं से हुई है। ग्रंथों के अनुसार जगत के कल्याण के लिए कई सालों की तपस्या के बाद जब भगवान शंकर ने आंखें खोलीं तो उनकी आंखों से आंसू गिर आए। इसी से रुद्राक्ष के पेड़ की उत्पत्ति हुई। इसलिए माना जाता है कि इसमें शिवजी का वास होता है और सावन में रुद्राक्ष धारण करना सबसे शुभ माना जाता है। यह भी माना जाता है कि इस महीने नियम से रुद्राक्ष धारण करने वाले को शिवजी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए जानते हैं कि रुद्राक्ष पहनने की सही विधि क्या है और इसे धारण करने के क्या फायदे हैं।
पुरोहितों के अनुसार रुद्राक्ष किसी रत्न से कम नहीं है, इसलिए इसे पहनने के लिए रुद्राक्ष जैसे ही नियमों का पालन आवश्यक है। इनका यह भी कहना है कि सावन में रुद्राक्ष पहनना शुरू करना बेहद शुभ होता है।
1. पुरोहितों के अनुसार सावन के सोमवार या शिवरात्रि के दिन रुद्राक्ष पहनना शुरू करना शुभ होता है। इसके लिए पहले लाल कपड़े पर रुद्राक्ष को रखकर पूजा स्थल या शिवलिंग पर रख दें और पंचाक्षरीय ऊं नमः शिवाय मंत्र का जाप करें।
2. फिर इसे गंगाजल से धोएं और पंचामृत में डुबोकर कुछ देर के लिए छोड़ दें।
3. किसी कामना को लेकर रुद्राक्ष धारण कर रहे हैं तो गंगाजल को हाथ में लेकर संकल्प लें और फिर गंगाजल को हाथ से छोड़ दें। इसके बाद रुद्राक्ष को गंगाजल से धोने के बाद उसे धारण करें।
4. इसके अलावा रुद्राक्ष हाथ, गले और हृदय स्थल पर धारण करने का नियम है, यदि हाथ (कलाई) में पहनना चाहते हैं तो इसमें 12 मनके, गले में धारण करना चाहते हैं तो 54 मनके और अगर हृदयस्थल पर पहनना चाहते हैं तो दानों की संख्या 108 होनी चाहिए।
5. इसके अलावा रुद्राक्ष को लाल धागे में पहनना चाहिए। साथ ही रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को सात्विक दिनचर्या का पालन करना चाहिए।
रुद्राक्ष को भगवान शिव का प्रिय आभूषण माना जाता है। मान्यता है कि इसे धारण करने से मानसिक शांति मिलती है। रुद्राक्ष पहनने से शुगर, उच्च रक्तचाप और हृदय रोग में राहत मिलती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार रुद्राक्ष पहनने वाला दीर्घायु होता है और उसमें ओज, तेज की वृद्धि भी होती है। इसके अलावा भगवान शिव की कृपा से अशुभ ग्रहों के दुष्प्रभावों से भी राहत मिलती है। शनि, राहु, केतु जैसे ग्रह रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को अधिक पीड़ा नहीं देते। धन संपदा में वृद्धि होती है, शत्रु भी परास्त होने लगते हैं।
मान्यता है कि पंचमुखी रुद्राक्ष सबसे अच्छा होता है और इसे पहनने से भाग्य साथ देता है। इसके प्रभाव से धन लाभ होता है, जीवन में सुख समृद्धि आती है। रुद्राक्ष को सिद्ध करने के बाद सात दिन में यह असर दिखाने लगता है। हालांकि 12 मुखी रुद्राक्ष भी होता है। मान्यता है कि इसे पहनने से सूर्य सी चमक और तेज की प्राप्ति होती है।
सूर्य ग्रह के नकारात्मक प्रभाव समाप्त होते हैं। घर का कलह दूर होता है, रुद्राक्ष पहनने वाला निडर और साहसी बनता है। मानसिक और शारीरिक पीड़ा कम होती है। जबकि कुंडली में सूर्य कमजोर होने या क्रूर ग्रह की दशा अंतर्दशा चलने के समय एकमुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए।