7 प्वॉइंट में जानिए तमिलनाडु से नए संसद भवन तक धार्मिक सेंगोल की यात्रा, समझिए कैसे हुई तलाश
भोपालPublished: May 29, 2023 02:11:52 pm
भारत में गुमनाम धरोहर का किस्सा नया नहीं है। सेंगोल उसी की नई कड़ी है, भले ही जिस सेंगोल (scepter) की हम बात कर रहे हैं उसका अवतार नया है, लेकिन उसकी जड़ें 2600 साल से अधिक पुराने चोल राजवंश तक जाती हैं तो आइये जानते हैं सेंगोल की परंपरा (sengol kya hai ) और गुमनामी से तलाश तक का सारा किस्सा।


सेंगोल
सबसे पहले क्या है सेंगोल (sengol)
सेंगोल की उत्पत्ति तमिल शब्द सेम्मई से हुई है, जिसका अर्थ है सत्य का साथ, धर्म और निष्ठा। इसके शीर्ष पर धर्म के प्रतीक के रूप में शिव का वाहन नंदी रहता है। चोल राजा, नए राजा को यह राजदंड देकर सत्ता हस्तांतरण करते थे। इस समय एक धार्मिक प्रक्रिया पूरी की जाती थी(जब राजा कहता था मैं अदंड्य हूं तो पास खड़ा साधु छोटे पतले पलाश के डंडे से तीन बार मारकर कहता था राजा तुझे भी दंडित किया जा सकता है)। यह जिसके पास होता था उससे न्याय की अपेक्षा की जाती थी। इसका जिक्र महाग्रंथ सिलापथीकरम (Silapathikaram) और मनीमेकलई (Manimekalai) में है।