वैभव लक्ष्मी व्रत की विधि? इस व्रत को लगातार 7, 11 या 21 शुक्रवार तक किया जाता है। इसलिए इस व्रत को रखने वाले सबसे पहले इस बात का संकल्प लें कि आप कितने व्रत रखेंगे। इस व्रत की शुरुआत शुक्ल पक्ष के शुक्रवार से करें। ये व्रत महिला या पुरुष कोई भी रख सकता है। जानिए इस
व्रत को रखने की विधि?
-व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठ जाएं और संभव हो तो इस दिन लाल वस्त्र पहनें।
-फिर अपने घर की पूर्व दिशा में माता वैभव लक्ष्मी जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
-माता की मूर्ति के समक्ष अक्षत रखें और उन पर जल से भरा कलश रखें।
-फिर कलश के उपर कटोरी में सोने या चाँदी या कोई भी सिक्का रखकर कलश को कटोरी से ढक दें।
-घी का दीपक जलाएं और माता लक्ष्मी को फूल माला, रोली, मौली, सिंदूर आदि अर्पित करें।
-सोना, चांदी पर हल्दी कुमकुम लगाएँ और कुछ साबुत चावल चढ़ाएं।
-माता वैभव लक्ष्मी व्रत की कथा पढ़ें या सुनें।
-श्री सूक्त का पाठ करें।
-माता लक्ष्मी जी की आरती करें।
-अंत में उन्हें फल तथा मीठे प्रसाद का भोग लगाएँ।
-इस व्रत में दिन में केवल एक बार भोजन किया जाता है।
-व्रत के अगले दिन पूजा में चढ़ाए गए अक्षत पक्षियों को डाल दें और कलश का जल पौधे में डाल दें।
-व्रत रखने वाले माता महालक्ष्मी के मंत्र का जाप भी जरूर करें।
वैभव लक्ष्मी व्रत का उद्यापन:
-जब आपके द्वारा संकल्प किए गए व्रतों की संख्या पूरी हो जाए तो व्रत के आखिरी शुक्रवार को उद्यापन करें।
-इस व्रत के उद्यापन में जरूर है नारियल, खीर या मीठा प्रसाद, वैभव लक्ष्मी व्रत कथा की पुस्तक।
-व्रत का उद्यापन करने से एक दिन पहले ही 7, 11, 21 या 51 मैरिड स्त्रियों को आमंत्रित कर लें।
-उद्यापन वाले दिन सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान कर लें।
-एक चौकी लें उस पर लाल कपड़ा बिछाएं।
-व्रत के अन्य दिनों की तरह ही इस दिन भी पूजा करें।
-इसके बाद श्री गणेश जी, लक्ष्मी जी और विष्णु जी को गंध, पुष्प, दक्षिणा, पान, फूल, धूप, नैवेद्य, फल आदि अर्पित करें।
-पूजा के बाद नारियल फोड़ें और सौभाग्यवती स्त्रियों को कुमकुम का तिलक लगाएं और उन्हें वैभव लक्ष्मी व्रत कथा की पुस्तक भेंट करें और खीर का प्रसाद भी दें। सुबह उठने से लेकर रात्रि में सोने तक इन 5 मंत्रों का करें जाप, बनी रहेगी सुख-शांति
(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। patrika.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह लें।)