
वसंत पंचमी पर मां सरस्वती की पूजा
देवी आराधना का पर्व माघ गुप्त नवरात्र 10 फरवरी से शुरू होगा। इन दिनों देवी की गुप्त रूप में पूजन की जाती है। इस बार गुप्त नवरात्रि पूरे नौ दिन की रहेगी। 18 फरवरी को नवरात्र की पूर्णाहुति होगी। नवरात्रि के पांचवें दिन बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन ज्ञान और विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाएगी।
शहर में मंदिरों में मां सरस्वती की आराधना के लिए विशेष तैयारी की जा रही है। मान्यता है कि वसंत पंचमी के दिन ही देवी मां सरस्वती का अवतरण हुआ था, इसलिए यह शुभ दिन उन्हें समर्पित है। मंदिरों में ही नहीं स्कूल-कॉलेजों में भी मां सरस्वती की पूजा विधि-विधान की जाती है। वहीं बसंत पंचमी पर सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन भी किया जाएगा।
शुभ मुहूर्त सुबह 7.1 से दोपहर 12.35 के बीच
पंडित अरविंद तिवारी ने बताया कि इस दिन माता सरस्वती की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 7.1 से दोपहर 12.35 के बीच रहेगा। इसके साथ इस दिन शुभ और शुक्ल युग का निर्माण हो रहा है। इस बार बसंत पंचमी रेवती नक्षत्र में मनाई जाएगी। शुभ योग शाम 7.59 तक रहेगा और इसके बाद शुक्ल योग शुरू हो जाएगा। इसके साथ इस दिन रवि योग का भी निर्माण हो रहा है जो सुबह 10.40 से शुरू होगा।
माघ गुप्त नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त
माघ गुप्त नवरात्रि प्रतिपदा तिथि- 10 फरवरी की सुबह 4.28 मिनट से 11 फरवरी की रात्रि 12.47 मिनट तक।
घटस्थापना शुभ मुहूर्त- 10 फरवरी की सुबह 8.45 मिनट से लेकर सुबह 10.10 मिनट तक
इस तरह करें पूजा
माता सरस्वती के पूजन के लिए सुबह स्नान कर पीला वस्त्र पहनकर पूजा का संकल्प लें। शुभ मुहूर्त में माता सरस्वती की पूजा करें। पूजा के वक्त पीला फूल, सफेद चंदन, अक्षत, पीले रंग की रोली, पीला गुलाब, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें। सरस्वती पूजा के दिन सरस्वती वंदना के साथ ही सरस्वती कवच का पाठ करें। इससे छात्रों को पढ़ाई में मन लगेगा और सकारात्मक रिजल्ट आएगा।
11 जोड़ों का होगा सामूहिक विवाह
भोपाल में महानर सनाढ़य समाज द्वारा बसंत पंचमी पर सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन किया जाएगा। समाज के महामंत्री महेष दुबे ने बताया कि साकेत नगर स्थित दुर्गा मंदिर परमार भवन में सामूहिक विवाह होंगे। ग्यारह जोड़ों का विवाह वैदिक रीति विद्वान ब्राह्मणों द्वारा कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि सनातन संस्कृति के परंपरानुसार कुल देवी-देवता पूजन, मण्डपाच्छादन, द्वाराचार, बारात, पाणिग्रहण तथा विदाई की रस्मों का परंपरानुसार पालन होगा।
Updated on:
31 Jan 2024 09:41 pm
Published on:
31 Jan 2024 09:39 pm
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