दरअसल, महाभारत की विदुर नीति में लक्ष्मी यानि घन का अधिकारी बनने के लिए ( विचार और कर्म से ) चार अहम सूत्र बताए गए हैं। इन चार तरीके को अपनाने से कोई भी धनवान बन सकता है।
श्रीर्मङ्गलात् प्रभवति प्रागल्भात् सम्प्रवर्धते।
दाक्ष्यात्तु कुरुते मूलं संयमात् प्रतितिष्ठत्ति।।
इस श्लोक में धन बचाने के चार सूत्र बताए गए हैं। अगर इन चारों सूत्र पर हम ईमानदारी से काम करते हैं तो धन बचेगा भी और बढ़ेगा भी। आइये जानते हैं उन चार तरीकों के बारे में, जिससे धन को बचाया भी जा सकता है और बढ़ाया भी जा सकता है।
अक्सर हम सुनते हैं कि अच्छा कर्म करने पर लक्ष्मी स्थाई तौर पर आती हैं। इसका मतलब यह हुआ कि मेहनत और ईमानदारी से किये गए कार्यों से जो धन प्राप्त होता है, वह स्थाई होता है।
धन का सही प्रबंधन और निवेश से वह लगातार बढ़ता है। यानि धन को अगर हम सही जगह और सही कार्यों में लगाएंगे तो उसका निश्चित ही लाभ मिलेगा। जिससे धन बढ़ेगा।
अगर धन का सही तरीके से उपयोग किये जाए तो धन की बचत होगी। यही नहीं, अगर हम आय-व्यय पर विशेष ध्यान देंगे तो वह बढ़ता भी रहेगा। अगर हम ऐसा करेंगे तो धन का संतुलन बना रहेगा।
सबसे महत्वपूर्ण है कि धन की रक्षा के लिए आपको हर तरह से संयम रखना होगा। इसका मतलब साफ है कि आवश्यक जरूरतों पर ही खर्च करें। अगर आप सुख पाने और शौक को पूरा करने में धन खर्च करते हैं तो धन की कमी होगी। अर्थात धन खर्च करने में मानसिक, शारीरिक और वैचारिक संयम रखना बहुत जरूरी है।