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जानिए कुंडली के किस भाव में शनिदेव के होने से बनते हैं शुभ योग

आमतौर पर लोगों की धारणा है कि शनिदेव हमेशा पीड़ा देते हैं और कुंडली में शनि विराजित हो जाएं तो व्यक्ति का जीवन कष्टों से भर जाता है। लेकिन वास्तव में शनिदेव कर्मों के हिसाब से फल देते हैं।

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जानिए कुंडली के किस भाव में शनिदेव के होने से बनते हैं शुभ योग

ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव को न्याय और कर्मफल देवता माना गया है। वहीं शनि का नाम सुनकर आमतौर पर लोग भयभीत हो जाते हैं। परंतु वास्तविकता में शनि ग्रह हमेशा ही पीड़ा नहीं देता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुभ कर्मों के तहत यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि उच्च स्थिति में विराजमान हैं तो ऐसे लोग जीवन में बहुत तरक्की, सम्मान और धन कमाते हैं। तो आइए जानते हैं कुंडली के किस भाव में शनि के होने से शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं...

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में शनि तीसरे, छठे या ग्यारहवें भाव में स्थित है तो यह योग व्यक्ति को बहुत मेहनती और पराक्रमी बनाता है। ऐसे लोग हर परिस्थिति में परिश्रम करके आगे बढ़ते हैं।

शनि व शुक्र की युति चतुर्थ भाव में होने पर ऐसे व्यक्ति को महिलाओं और दोस्तों से धन प्राप्ति होती है। वहीं अगर शनि व शुक्र की युति दशम भाव में हो तो व्यक्ति वैभवशाली होता है।

अगर शनि ग्रह मेष, मिथुन, कर्क, सिंह, धनु और मीन राशि का होकर कुंडली में विराजमान है तो ऐसे जातक किसी खास विषय में महारत हासिल करते हैं।

ज्योतिष के जानकारों के मुताबिक यदि शनि की दृष्टि चंद्र ग्रह पर हो और दोनों एक साथ एक ही लग्न में मौजूद हों तो ऐसी कुंडली वाले लोग महान तपस्वी तथा धर्म प्रचारक बनते हैं।

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