
holi par ramleela
ग्वालियर की रामलीला (Ramlila tradition in gwalior): ग्वालियर में होली पर रामलीला की परंपरा काफी पुरानी है। अविभाजित भारत के झंग जिले के रसीदपुर गांव से आकर यहां बसे झंग बिरादरी के लोग इस परंपरा को निभाते हैं। इस बिरादरी के लोग बताते हैं कि आजादी से पहले रसीदपुर गांव में होली से आठ दिन पहले धार्मिक नाटकों का मंचन और रामलीला मंचन की शुरुआत की गई थी।
बाद में वे लोग यहां ग्वालियर के शिवाजी मार्ग बाजार के पास आ गए तो परंपरा भी साथ लाए। वे यहां 116 साल से इस परंपरा को निभा रहे हैं। इसके लिए होली से एक हफ्ते पहले रामलीला मंचन की शुरुआत कर देते हैं। बाजार में आरक्षित जगह पर ये होली पर रामलीला मंचन करते हैं।
खास बात है यहां की रामलीला में कोई बाहरी कलाकार शामिल नहीं होता। रामलीला के सभी पात्र परंपरागत रूप से समिति से जुड़े लोग ही पीढ़ी दर पीढ़ी बन रहे हैं। यहां की रामलीला देखने और शामिल होने के साथ मन्नत मांगने के लिए दूर दराज से इस समुदाय के लोग यहां पहुंचते हैं। इस दौरान यहां खूब रंग गुलाल उड़ता है।
बरेली की रामलीला (Ramlila tradition in bareilly)
यूपी के बरेली में ब्रिटिशकाल से ही होली के अवसर पर राम बारात निकाली जा रही है। इस परंपरा को यहां 162 साल से अधिक हो गए हैं। हजारों लोग राम बारात में शामिल होते हैं और हुरियार रंग की बौछार करते हैं। इस राम बारात का स्वागत भी करते हैं। होली पर इस राम बारात को देखने के लिए विदेशों से भी लोग यहां आते हैं। इस राम बारात को निकाले जाने से पहले रामलीला का मंचन होता है।
दुनिया भर में प्रसिद्ध इस रामलीला को 2008 में यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज साइट (unesco world heritage site) में भी शामिल कर लिया था। 2015 में बरेली की होली वाली रामलीला को विश्व धरोहर भी घोषित किया गया है।
Updated on:
04 Mar 2023 09:05 pm
Published on:
04 Mar 2023 09:03 pm
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