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Mangla Gauri Vrat 2022: सावन का पहला मंगला गौरी व्रत 19 जुलाई को, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि और महत्व

सावन में पड़ने वाला प्रत्येक मंगलवार माता मंगला गौरी की पूजा को समर्पित है। इस साल सावन का पहला मंगला गौरी व्रत 19 जुलाई 2022 को पड़ रहा है। ज्योतिष अनुसार इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण होने से इस व्रत का महत्व और भी बढ़ गया है।

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Mangla Gauri Vrat 2022: सावन का पहला मंगला गौरी व्रत 19 जुलाई को, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि और महत्व

Mangla Gauri Vrat 2022 Shubh Muhurat, Puja Vidhi And Significance: सनातन धर्म में सावन मास को बहुत शुभ और पवित्र माना गया है। भगवान भोलेनाथ को समर्पित इस महीने शिवालयों में सुबहशाम 'हर हर महादेव' के जयकारे गूंजते हैं। वहीं सावन मास में पड़ने वाले मंगलवार भी बेहद खास माने जाते हैं। इस दिन माता मंगला गौरी की पूजा और व्रत का विधान है। सावन मास की शुरुआत 14 जुलाई 2022 से हो चुकी है और सावन का पहला मंगला गौरी व्रत 19 को रखा जाएगा। तो आइए जानते हैं ज्योतिष अनुसार इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि और क्या है इस व्रत का महत्व...

मंगला गौरी व्रत 2022 में कब कब है?
हिंदी पंचांग के अनुसार इस साल 2022 में पहला मंगला गौरी व्रत 19 जुलाई को, दूसरा मंगला गौरी व्रत 26 जुलाई को, तीसरा मंगला गौरी व्रत 2 अगस्त और चौथा या अंतिम मंगला गौरी व्रत 9 अगस्त को पड़ेगा।

मंगला गौरी व्रत 2022 शुभ मुहूर्त
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 19 जुलाई को पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 5:35 बजे से दोपहर 12:12 बजे तक रहेगा।

मंगला गौरी व्रत 2022 पूजा विधि
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगला गौरी व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर साफ सुथरे वस्त्र धारण करें। इसके बाद घर के मंदिर की सफाई करके वहां सबसे पहले एक चौकी स्थापित करें और उस पर लाल कपड़ा बिछाएं। अब चौकी के ऊपर पार्वती माता और भगवान गणेश की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।

मां पार्वती को सोलह श्रृंगार की सामग्री, सूखे मेवे, नारियल, लौंग, सुपारी, इलायची और मिष्ठान अर्पित करें। पूजन के बाद माता रानी की आरती उतारें और मंगला गौरी व्रत की कथा सुनें या पढ़ें। इसके बाद अर्पित किया हुआ भोग प्रसाद रूप में लोगों में बांट दें।

मंगला गौरी व्रत का महत्व
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मान्यता है कि मंगला गौरी व्रत रखने तथा इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा करने वाले व्यक्ति की हर मनोकामना पूर्ण होती है। वहीं सुहागिन महिलाएं इस व्रत को अपने पति की दीर्घायु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखती हैं।

(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। patrika.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह ले लें।)

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