29 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

शरद पूर्णिमा का धार्मिक ही नहीं, वैज्ञानिक महत्व भी जानिये

शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा से कुछ विशेष दिव्य गुण प्रवाहित होते हैं।

2 min read
Google source verification
sharad_purnima1.jpg

13 अक्टूबर ( रविवार ) को शरद पूर्णिमा है। इस दिन चंद्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण रहता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन चंद्रमा से कुछ विशेष दिव्य गुण प्रवाहित होते हैं। यही कारण है कि इसे कोजागरी या रस पूर्णिमा भी कहा जाता है।

धार्मिक मान्याओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा के दिन कई वैद्य जीवन रक्षक विशेष औषधियों का निर्माण करते हैं। कहा ये भी जाता है कि दशहरा से लेकर पूर्णिमा तक चंद्रमा से विशेष प्रकार का रस झरता है, जिसे बोलचाल की भाषा में अमृत कहा जाता है, जो अनेक रोगों में संजीवनी की तरह काम करता है।

यही कारण है कि शरद पूर्णिमा के रात खीर बनाकर छत पर राखी जाती है ताकि वह औषधि रूप धारण कर सके। कहा जाता है कि जब चंद्रमा की किरणें खीर पर पड़ती है तो वह अमृतमय औषधी के रूप में काम करती है। बताया जाता है यह खीर मलेरिया और दमा में विशेष तौर पर काम करती है।

वहीं, अगर वैज्ञानिक दृष्टि से बात किया जाए तो पूर्णिमा की रात बहुत लाभकारी होता है। दरअसल, इस दिन मौसम बदलता है और शीत ऋतु की शुरुआत होती है। यही कारण है कि इस दिन के बाद गर्म तासीर वाले खाद्य पदार्थ का सेवन करना शुरू हो जाता है।