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रामचरित मानस का सनातन धर्म में बहुत अधिक महत्व है। यह पवित्र ग्रंथ और दिव्य महाकाव्य है। जिसमें लिखे दोहे और चौपाईयों का अनुसरण मानव जीवन में किया जाए तो व्यक्ति का जीवन सफल और सुखद हो सकता है। माना जाता है कि रामायण का जीवन में अनुसरण व्यक्ति को धर्म के रास्ते पर भी चलाता है, इसके साथ ही उसे जीवन जीने की कला भी सीखाता है।
रामायण की रचना महर्षि वाल्मीकि ने कि थी। रामायण में बताई गई बातें बहुत से तरीके बताती जिसके अनुसार मानव अपने जीवन को सरल व सहज रूप देकर उसे जीना सीख जाता है। रामचरित मानस में भगवान श्री राम और उनके संपूर्ण जीवन का वाक्या बताया गया है। इसके साथ ही कुछ जरूरी बातें भी हैं जिनसे जीवन बहुत ही सहज और सुंदर हो जाता है। जहां व्यक्ति पर आने वाली समस्याओं को वे बहुत ही आसानी से हल कर सकते हैं और बिना डरे उनका सामना कर सकते हैं। तो आइए जानते हैं रामचरित मानस के अनुसार किन बातों का अनुसरण करने से जीवन में तरक्की पा सकते हैं...
1. भगवान श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम भी कहा जाता है। क्योंकि वे हमेशा अपनी मर्यादा यानी अनुशासन में रहते थे। अर्थात सुखमय जीवन जीने के लिये अनुशासन बहुत जरूरी होता है। मर्यादाएं हमेशा हमें अभाव में जीना सीखा देती है और संघर्षों में भी जीना सीखा देती है। इसलिये हमेशा मर्यादा में रहना अच्छा होता है।
2. रामायण से हमें दूसरी सीख व्यवहार के बारे में मिलती है। जिस प्रकार हमने रामायण में भगवान श्री राम का जीवन काल देखा उसके अनुसार उन्होंने अपने जीवन में सभी के साथ हमेशा समान व्यवहार किया है। अतः हमें भी अपने जीवन में हमेशा सब के साथ समान व्यवहार करना चाहिए। कभी किसी व्यक्ति की जाति, धर्म से भेदभाव नहीं करना चाहिए।
3. कहावत है ना अच्छी संगत व्यक्ति की तरक्की में सहयोग करती है और बुरी संगति से व्यक्ति हमेशा डूबता है। इसलिए अपनी संगति हमेशा अच्छे मनुष्यों के साथ रखनी चाहिए। कैकयी, दासी मंथरा की गलत बातों और बुरे विचारों में आकर महाराज दशरथ से राम के लिए 14 वर्षों का वनवास मांग लेती है। इसलिए बुरी संगति और बुरे विचारों व सलाह से हमेशा दूर रहें।
4. किसी भी काम को पूरा करने के लिए मनुष्य को हमेशा समर्पित रहना चाहिए। इससे वह अपना आगे का रास्ता खोज सके और जीवन में जो बनना चाहे, वह बन सके। जीवन में तरक्की पाने के लिए आपको बहुत मेहनत करनी पड़ेगी और उस कार्य में पूरी तरह समर्पित होना पड़ेगा। भगवान राम के लिए हनुमानजी का प्रेम और निस्वार्थ सेवा हमें सिखाती है कि आराध्य के चरणों में बिना किसी संदेह के समर्पित कर देना चाहिए।
5. दूसरों का बुरा करने वाले का कभी भला नहीं होता, इसलिए हमेशा सभी का भला सोचें अपना भला खुद ब खुद हो जाएगा। भगवान श्री राम भी हमेशा सभी के लिये दया भाव रखते थे। रावण ने सीता का हरण किया जो कि धर्म विरूद्ध था। इससे हमें ये शिक्षा मिलती है कि दूसरों का नुकसान करने से हमेशा खुद का नुकसान होता है। इसलिए माफ करने से एक महान इंसान बनते हैं।
Published on:
27 Sept 2019 05:48 pm
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