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दो संभाग के कॉलेजों की संबद्धता पर लटकी तलवार, प्रवेश लेने से पहले कर लें पड़ताल

एपीएस विवि ने जारी किया नोटिस...

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रीवा

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Ajit Shukla

Jun 27, 2018

Affiliation of college are pending at rewa and shahadol, APS ultimatum

Affiliation of college are pending at rewa and shahadol, APS ultimatum

रीवा। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय से संबद्ध दो संभागों के चार दर्जन शासकीय कॉलेजों की संबद्धता अधर में लटक गई है। कॉलेज प्रशासन की लापरवाही से अटकी संबद्धता को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी सख्त रूख अपना लिया है। कॉलेजों को नोटिस जारी कर आवश्यक दस्तावेजों की जल्द पूर्ति करने को कहा है।

करीब 60 कॉलेजों को लेना है संबद्धता
विश्वविद्यालय से संबद्ध रीवा व शहडोल संभाग के 62 शासकीय कॉलेजों को नए शैक्षणिक सत्र के लिए संबद्धता प्राप्त करना है। इसकी प्रक्रिया के तहत विश्वविद्यालय की ओर से गठित समितियों ने कॉलेजों का निरीक्षण तो कर लिया है लेकिन कॉलेजों की ओर से संबद्धता के बावत निर्धारित प्रपत्र भर कर नहीं दिया जा रहा है। नतीजा न ही समितियों की ओर से कॉलेजों की निरीक्षण रिपोर्ट सौंपी जा रही है और न ही संबद्धता जारी करना संभव हो पा रहा है।

लापरवाहीपूर्ण रवैया अपनाए हुए हैं प्राचार्य
गौरतलब है कि निरीक्षण समितियों की रिपोर्ट और कॉलेज की ओर से दिए गए प्रपत्र के आधार पर ही विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद कॉलेजों को संबद्धता प्रदान करने पर सहमति देती है। कार्यपरिषद की सहमति के बाद ही विश्वविद्यालय प्रशासन कॉलेजों को संबद्धता के बावत प्रमाणपत्र जारी करता है। कॉलेजों की संबद्धता के लिए यह प्रक्रिया प्रतिवर्ष अपनाई जाती है। संबद्धता प्राप्त करने में दूसरे जिलों की बात तो दूर यहां शहर में स्थित कॉलेज ने भी लापरवाहीपूर्ण रवैया अपनाए हुए हैं।

विवि ने 30 जून घोषित किया अंतिम तिथि
विश्वविद्यालय प्रशासन ने शासकीय कॉलेजों को नोटिस जारी कर 30 जून तक हर हाल में निर्धारित प्रपत्र भर कर विश्वविद्यालय की संबंधित शाखा में जमा करने को निर्देशित किया है। विश्वविद्यालय अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि प्रपत्र भर कर नहीं जमा करने पर कॉलेज को संबद्धता प्रदान नहीं जाती है तो इसके लिए पूरी तरह से कॉलेज प्रशासन ही जिम्मेदार होगा।

पाठ्यक्रमों नहीं रहती वैधानिक मान्यता
कॉलेज चाहे शासकीय हो या फिर अशासकीय, विश्वविद्यालय से उनको संबद्धता नहीं मिलती है तो संबंधित कॉलेज में संचालित पाठ्यक्रमों की वैधानिक मान्यता नहीं होती है। इससे छात्र-छात्राओं की संबंधित पाठ्यक्रम में पढ़ाई का कोई मतलब नहीं रह जाता है। कॉलेज प्राचार्यों की लापरवाही गत वर्षों में भी देखने को मिली है। लेकिन अब की प्राचार्य कुछ ज्यादा ही उदासीन हैं।