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किसानों को बांटा जा रहा संक्रमणयुक्त बीज

बाजार में सोयाबीन की नई किस्म उपलब्ध नहीं, जिम्मेदार अधिकारी बने हैं तमाशबीन, उत्पादन होगा प्रभावित

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Suresh Kumar Mishra

Jun 23, 2016

rewa news

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रीवा
शासन प्रशासन की ओर से किसानों के हित में तमाम तरह की सुविधाओं को मुहैया कराने का भले ही दम भरा जा रहा है। लेकिन हकीकत यही है कि यहां बोवनी के लिए किसानों को संक्रमणयुक्त बीज मुहैया हो रहा है। खासतौर पर किसानों को सोयाबीन के बीज के रूप में जो किस्म उपलब्ध कराई जा रही है, उससे नहीं लगता है कि किसान फसल के बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकेगा।

दरअसल, किसानों को ज्यादातर बीज समितियों व व्यापारियों से सोयाबीन की तीन किस्म उपलब्ध हो रही है। सामान्यतया सोयाबीन की बोवनी के लिए जेएस-335, जेएस-9305 व जेएस-9560 किस्म मिल रहा है। कृषि वैज्ञानिकों की माने तो तीनों किस्म मोजैक रोग से संक्रमित है। सबसे अधिक मात्रा में उपलब्ध जेएस-335 में मोजैक रोग लगने की सबसे अधिक संभावना है। बाकी के दो किस्मों में भी इस रोग का खतरा है।


मजबूर हुए किसान

किसान मजबूरन सोयाबीन की यही किस्म बोने को मजबूर हैं। क्योंकि उन्हें अन्य दूसरी किस्म उपलब्ध नहीं हो रही है। जबकि जेएस-9752, जेएस-2034 व जेएस-2029 किस्म मोजैक रोग से संक्रमणरहित व बेहतर उत्पादन देने वाली किस्में हैं। लेकिन यहां किसानों को नसीब नहीं हो रही हैं।


उन्मूलन की योजना होगी फ्लॉप

संक्रमणयुक्त बीज की बोवनी करने से किसानों को ही नहीं बल्कि मोजैक रोग के उन्मूलन के लिए बनाई गईयोजना को भी पलीता लगेगा।किसानों द्वारा संक्रमित किस्म के बीज की बोवनी करने से रोग के बने रहने की पूरी संभावना होगी। गौरतलब है कि मोजैक रोग से मुक्ति पाने के लिए न केवल प्रदेश स्तर पर सोयाबीन के बोवनी का रकबा कम किया गया है बल्कि जिले का लक्ष्य भी घटाया गया है। सोयाबीन के संक्रमणरहित किस्म से बोवनी किए जाने का योजना है।


दूसरे बीजों पर भी किसी की नजर नहीं

सोयाबीन के अलावा व्यापारियों द्वारा बेचे जा रहे अन्य दूसरे फसलों के बीज पर भी किसी की नजर नहीं है।कृषि अधिकारियों को शासन व प्रशासन स्तर से बिक्री केंद्रों पर निरीक्षण व छापेमारी की कार्रवाई करने का निर्देश है। लेकिन अभी तक कृषि अधिकारी ठंडे पड़े हैं। किसान पूरी तरह से बीज व्यापारियों के भरोसे छोड़ दिए गए हैं।जबकि कृषि विभाग को शासन की ओर निरीक्षण व छापेमारी की कार्रवाई कर बीज व खाद के नमूने लेने का निर्देश जारी किया गया है।


वैज्ञानिक दे रहे उपचार की सलाह

वैज्ञानिकों की सलाह है कि सोयाबीन के उन किस्मों की बोवनी नहीं की जाए, जिनमें पिछले कई फसलों से मोजैक रोग का खतरा देखने को मिल रहा है। लेकिन विशेष परिस्थिति में किसान इन किस्मों की बोवनी करता है तो उसका उपचार जरूर कर ले।सोयाबीन के बीज का कीटनाशक थायोमिथेक्साम 30 एफएस (10 मिली प्रति किग्रा बीज) या इमिडॉक्लोप्रिड 48 एफएस (125 मिली प्रति किग्रा बीज) से उपचारित करें।


अमानक बीजों से सावधान रहने की सलाह

कृषि विभाग ने किसानों को अमानक बीज से सावधान रहने की सलाह दी है। उप संचालक द्वारा जारी एडवाइजरी में कहा गया है किसान बीज खरीदते समय सम्बंधित बीज विक्रेता से बीज विक्रय की रसीद जरूर प्राप्त करें। रसीद में बीज का नाम, किस्म एवं बीज का लाट नम्बर स्पष्ट लिखा हो। किसान वहीं बीज खरीदें जिसमें उत्पादक संस्था व बीज प्रमाणीकरण का संस्था का टैग हो।


अंकुरण परीक्षण भी करें

कृषि अधिकारी ने किसानों को यह सलाह भी दी है कि वे बीज की बोवनी करने पहले अंकुरण परीक्षण भी कर लें। जिससे कि बीज की गुणवत्ता मालूम हो सके।खरीदे गए बीज में से 100 दाने निकाल कर अंकुरित कराएं। इनमें से कम से कम 70 बीज अंकुरित होते हैं तो बीज की बोवनी किया जा सकता है।


इन मोबाइल नंबरों पर एसएडीओ से करें शिकायत

अधिकारी विकासखंड मोबाइल नंबर

टीआर त्रिपाठी रीवा 8717875151

विष्णु त्रिपाठी रायपुर कर्चुलियान 9425886587

बीपी सिंह सिरमौर 9424623920

आरएस पाठक त्योंथर 9425846024

धीरेन्द्र सिंह जवा 7869271619

देवेन्द्र सिंह गंगेव 9993790232

हरवेन्द्र सिंह मऊगंज 9200378380

वीरभद्र सिंह हनुमना 9893103719

आरके पाण्डेय नईगढ़ी 8305030603

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