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जीवन में भूलकर भी न डाले ये 3 आदतें, वरना हो जाओगे बर्बाद

महान तपस्या भी तब निष्फल हो जाती है जब उसमें अहंकार, अधर्म और तामसिकता जुड़ जाए। सही उपाय वही है जो सात्विक हो, धर्मसम्मत हो और विवेक के साथ किया जाए। जीवन में स्थायी सुख और सफलता के लिए शुद्ध आचरण, सही वास्तु और एकाग्र साधना अनिवार्य है।

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3 आदतें जो आपको कर सकती हैं बर्बाद (pc: gemini generated)

3 आदतें जो आपको कर सकती हैं बर्बाद (pc: gemini generated)

भारतीय ग्रंथों में राक्षसों को केवल नकारात्मक शक्तियों के रूप में नहीं, बल्कि महान तपस्वी के रूप में भी देखा गया है। रावण, भस्मासुर जैसे पात्रों ने वर्षों की कठिन तपस्या से अद्भुत वरदान पाए। फिर भी उनका अंत हुआ। सवाल उठता है—इतनी साधना और आशीर्वाद के बावजूद उनका पतन क्यों हुआ? इसका उत्तर छिपा है धर्म, आचरण और सात्विकता में।

वरदान मिला, पर विवेक खो गया

ग्रंथों के अनुसार, जब व्यक्ति अपनी सिद्धियों और शक्तियों का उपयोग धर्म के विरुद्ध करता है, तब उसका पतन निश्चित हो जाता है। रावण शिवभक्त था, पर अहंकार और अधर्म ने उसकी साधना को निष्फल कर दिया। भस्मासुर को मिला वरदान भी विवेकहीनता के कारण विनाश का कारण बना।

गलत उपाय और उनका दुष्परिणाम

आज के समय में भी लोग जल्द सफलता के लिए तामसिक उपायों का सहारा लेते हैं—जैसे मांस, मदिरा, अंडा, प्याज या लहसुन से जुड़े टोटके। ऐसे उपाय क्षणिक लाभ तो दे सकते हैं, लेकिन आगे चलकर मानसिक, पारिवारिक और आध्यात्मिक हानि का कारण बनते हैं।

वास्तु के छोटे नियम, बड़ा असर

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में बहता पानी, टूटी झाड़ू, कबाड़ या खराब इलेक्ट्रॉनिक सामान नकारात्मक ऊर्जा बढ़ाते हैं। भोजन बनाते समय गाय, कुत्ते और पक्षियों के लिए अंश निकालना स्वास्थ्य और शांति के लिए शुभ माना गया है। ये छोटे नियम घर की ऊर्जा को संतुलित रखते हैं।

पूजा में संकल्प और सात्विकता जरूरी

बिना संकल्प की पूजा फल नहीं देती। साथ ही, पूजा के बाद दान—जैसे पक्षियों को दाना, गाय को चारा, कन्याओं को भोजन और गरीब को वस्त्र—उपाय को स्थायी फल देता है। मन, वचन और कर्म से शुद्ध रहना सबसे बड़ा नियम है।

एक उपाय, एक मार्ग

अक्सर लोग एक साथ कई लोगों के बताए उपाय करने लगते हैं। इससे ऊर्जा बिखर जाती है और परिणाम नहीं मिलता। एक समय में एक ही मार्ग चुनना ही सफल साधना का सूत्र है।